केपटाउन।दक्षिण अफ्रीका में युवाओं के एक ग्रुप ने घर में एयरक्राफ्ट बनाकर उसे केपटाउन से मिस्र के काहिरा तक उड़ा दिया। चार सीटर प्लेन को 20 युवाओं की टीम ने बनाया। इसे उड़ाने वालों में भी इसके चार निर्माता ही शामिल थे। करीब 12 हजार किमी का सफर पूरा करने में किशोरों ने तीन हफ्ते का समय लगाया। इस दौरान उन्होंने नामीबिया, मलावी, इथियोपिया, जंजीबार, तंजानिया और युगांडा में स्टॉपेज लिया।
पूरे अफ्रीका को देना चाहती थीं संदेश
विमान की मुख्य पायलट 17 साल की मेगन वर्नर थीं। उड़ान सफलतापूर्वक काहिरा तक पहुंचाने के बाद उन्होंने कहा कि वे एक महाद्वीप से दूसरे तक एयरक्राफ्ट उड़ाने की उपलब्धि पर गर्व करती हैं। मेगन के मुताबिक, वे इस प्रोजेक्ट से अफ्रीका को बताना चाहती हैं कि अगर आप ठान लें तो सबकुछ संभव है।
तीन हफ्तों में हजारों पुर्जों को असेंबल कर बनाया विमान
युवाओं ने विमान को महज तीन हफ्ते में हजारों पुर्जे असेंबल कर तैयार कर दिया। इसके पुर्जे दक्षिण अफ्रीकी कंपनी एयरप्लेन फैक्ट्री से लिए गए थे। मेगन के पिता डेस वर्नर जो कि खुद एक कमर्शियल पायलट हैं के मुताबिक, एक स्लिंग-4 (बेसिक एयरक्राफ्ट) बनाने में एक अच्छी टीम को 3000 घंटे तक लग जाते हैं।
मेगन के मुताबिक, इस अद्भुत उपलब्धि कोे पाना उनके लिए बिल्कुल आसान नहीं था। खासकर तब जब उनका एयरक्राफ्ट प्रोफेशनल कंपनी ने नहीं बनाया। यात्रा के दौरान इथियोपिया में तो एयरक्राफ्ट के लिए ईधन भी नहीं मिला।जब विमान सूडान के ऊपर उड़ान भर रहा था तब हमें वहां में चल रहे गृहयुद्ध का डर लग रहा था। इसके बावजूद हमनेसफर पूरा किया।
विमान बनाने वाले ग्रुप के मेगन समेत छह किशोरों के पास बेसिक पायलट लाइसेंस था। इसकी वजह से उन्हें इतनी ऊंचाई तक जाने की परमिशन थी, जहां से जमीन हर वक्त दिखती रहे। मेगन के मुताबिक, एक समय ऐसा आया जब उनके साथ ड्रियान वान डेन हीवर को 10 घंटे तक लगातार विमान उड़ाना पड़ा।
मिस्र के एयरस्पेस के पास तो एयरक्राफ्ट के एवियॉनिक सिस्टम में ही खराबी आ गई। इसलिए उन्हें अबु सिंबेल के डोमेस्टिक एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी। मेगन ने बताया कि मिस्र में उतरने पर अफसर उन्हें गिरफ्तार करना चाहते थे। उन्होंने सभी से पासपोर्ट और लाइसेंस ले लिए, लेकिन चार घंटे बाद सब ठीक हो गया और विमान को ईधन के साथ काहिरा तक जाने की अनुमति दे दी गई।