नई दिल्ली।एक तरफ तो मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में कूटनीति को लेकर आक्रामक है, वहीं चीन ने उसे फिर आंखे दिखाने का काम किया है. अगर मीडिया रिपोटर्स की मानें तो डोकलाम गतिरोध के लगभग दो साल बाद चीन ने फिर एक बार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है. जानकारी के मुताबिक इस बार पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने लद्दाख में भारतीय सीमा के 6 किलोमीटर अंदर तक प्रवेश कर चीनी झंडा लहराया. गौरतलब है कि इन दिनों लद्दाख के स्थानीय निवासी धर्मगुरु दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे थे।
पूर्वी डेमचोक की सरपंच ने की पुष्टि
एक रिपोर्ट के मुताबिक लद्दाख में पूर्वी डेमचोक की सरपंच उरगेन चोदोन ने चीनी सेना के घुसपैठ की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि चीनी सैनिक सैन्य वाहनों में भारतीय सीमा में आए और वहां चीनी झंडा लहराया. सरपंच ने बताया कि चीन के सैनिक ऐसे समय पर इस इलाके में आए, जब स्थानीय लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे हैं. उरगेन ने बताया कि चीन के सैनिकों का डेमचोक में आना चिंता की बात है. चीन इस तरह की गतिविधि को अंजाम देकर भारत पर दबाव बढ़ाना चाहता है ताकि अगर कभी बातचीत हो तो उस समय इस क्षेत्र पर अपना दावा किया जा सके।
अभी भी लगे हैं चीन के दो टेंट
गौरतलब है कि चीन ने ऐसा पहली बार नहीं किया है. यहां वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक नाले के पास अभी भी चीन के दो टेंट लगे हुए हैं. अगस्त 2018 में चीन ने इस क्षेत्र में घुसपैठ की थी और कई टेंट स्थापित किए थे. भारत विरोध के बाद उसने कई टेंट हटाए लेकिन अभी भी दो टेंट वहां मौजूद हैं. यही नहीं, चीन ने सीमा के उस पार बड़ी संख्या में सड़कें बना कर आधारभूत ढांचे को मजबूत किया है।
73 दिन चला था डोकलाम गतिरोध
यहां यह नहीं भूलना चाहिए कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 27-28 अप्रैल को वुहान में हुई बैठक को दि्वपक्षीय संबंधों के लिहाज से ऐतिहासिक करार दिया जा रहा है. खासकर 73 दिन चले डोकलाम गतिरोध के चलते दोनों देशों में तनाव चरम पर था. चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा के करीब उस क्षेत्र में एक सड़क बनाने का प्रयास किए जाने के बाद भारतीय सेना ने मोर्चा संभाल लिया था जिस पर 2017 में भूटान ने भी दावा किया था. वुहान शिखर सम्मेलन के बाद ही दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में संबंध सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था।
घुसपैठ वुहान शिखर सम्मेलन की भावनाओं के खिलाफ
सरपंच उरगेन ने बताया कि पिछले कई साल से वे लोग दलाई लामा का जन्मदिन मना रही हैं लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि चीन के सैनिक यहां तक आए हैं. उन्होंने बताया कि सेना और सरकार को इस कार्यक्रम की जानकारी है. यह इलाका लद्दाख में भारत और चीन के बीच अंतिम रिहायशी इलाका है. बता दें कि चीनी सेना का यह कदम वुहान शिखर सम्मेलन की भावनाओं के खिलाफ है।
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच 27-28 अप्रैल को वुहान में हुई बैठक को मोटे तौर पर द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का श्रेय दिया जाता है जिसमें डोकलाम में 73 दिन के गतिरोध के चलते खटास आ गई थी. डोकलाम में दोनों देशों के बीच गतिरोध चीनी सैनिकों द्वारा भारतीय सीमा के करीब उस क्षेत्र में एक सड़क बनाने का प्रयास किए जाने के बाद आया था जिस पर 2017 में भूटान ने भी दावा किया था. वुहान शिखर सम्मेलन के बाद दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में संबंधों को सुधारने के प्रयासों को आगे बढ़ाया जिसमें एक-दूसरे की सेनाओं के बीच संबंध शामिल हैं।सोर्स ऑफ पल पल इंडिया।