नई दिल्ली।भारत सरकार हो रहे यौन उत्पीड़न बॉल अपराधों को गम्भीरता से लेते हुये यौन उत्पीड़न के मामलों की जल्द सुनवाई के लिए भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 1023 फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के प्रस्ताव कोमंजूरी दे दी है। देश के अलग-अलग राज्यों में यह विशेष अदालतें अगले साल तक काम करना शुरू कर देंगी। इनमें महिला के यौन उत्पीड़नऔर बाल अपराधों से जुड़े पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई होगी।फिलहाल, देश में 664 फास्ट ट्रैक कोर्ट पहले से काम कर रही हैं।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को बताया कि विशेष अदालतों के निर्माण पर 700 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह रकम निर्भया कोष से मुहैया कराई जाएगी। इस बजट में 474 करोड़ रुपए केंद्र सरकार और बाकी 226 करोड़ राज्य सरकारें देंगी। हर फास्ट कोर्ट को संचालित करने में सालाना करीब 75 लाख का खर्च आएगा। इन्हें स्थापित करने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय के पास होगी, जबकि कानून मंत्रालय हर तिमाही में सुनवाई की प्रगति रिपोर्ट तैयार करेगा।
यौन उत्पीड़नऔर बाल अपराधों से जुड़े पॉक्सो एक्ट के मामलों की सुनवाई को लेकर 18 राज्यों में बनेंगी विशेष अदालतें
महिला एवं बाल विकास के प्रस्ताव के मुताबिक, 18 राज्यों में पॉक्सोएक्ट के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने हैं। इनमें महाराष्ट्र, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, मेघालय, झारखंड, आंध्रप्रदेश, बिहार, मणिपुर, गोवा, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, मिजोरम, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु, असम और हरियाणा शामिल हैं।
भारत सरकार ने पॉक्सोएक्ट, 2012 में संशोधन को मंजूरी
वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (ईएफसी) के द्वारानई अदालतों से जुड़ेप्रस्ताव को स्वीकृति मिलना बाकी है। इससे पहलेकेंद्रीय कैबिनेटने बुधवार को पॉक्सो एक्ट, 2012 में संशोधन को मंजूरी दी थी। जिसमें बाल अपराधों के दोषियों को मौत की सजा और अन्यकठोर दंड का प्रावधान किया गया है।
2016 तक देशभर में दुष्कर्म के 1 लाख 33 हजार केस लंबित थे
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2016 तक देशभर की अदालतों में दुष्कर्म के 1 लाख 33 हजार और पॉक्सो एक्ट के 90 हजार 205 मामलों की सुनवाई लंबित थी। जो मामले ट्रायल में आए उनमें से दुष्कर्म के 25.5% और पॉक्सो के 29.6% केस में सजा सुनाई जा सकी।बताते चले कि अभी हाल में विभिन्न प्रान्तों में हो रहे यौन उत्पीडन एवं बाल अपराधो को 2019 तक का अकड़ा लिया जाय काफी बढोत्तरी होगी।