निदेशक तकनीकी पद के लिए कई आवेदक दागी, चार्जशीटेड, स्त्री उत्पीडक व आरोपी भी.
#ओबरा अग्निकांड की जांच की परीक्षण रिपोर्ट चेयरमैन ऊर्जा अलोक कुमार के पास, अब निर्णय की बारी
#रिपोर्ट में 4 नामों में से एक निदेशक कार्मिक संजय तिवारी का भी नाम, तिवारी पर एक दूसरे मामले में भी मिल सकती है चार्जशीट
लखनऊ । ऊर्जा विभाग के उत्पादन निगम में इस समय एक अजीब सी स्थिति बनी हुई है और निगम प्रबंधन का अगला हफ्ता कसमकस में गुजरने वाला है. निगम के खाली हो रहे निदेशक तकनीकी पद के लिए दागी, चार्जशीटेड आवेदकों का काला चिट्ठा पढकर एनओसी देने वाला खुद भी आरोपी है यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है. इन आवेदकों में तमाम ऐसे हैं जिनकी कुंडली खंगाले बिना यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया तो निगम का भगवान ही मालिक है, और यदि अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया तो भी सवाल खड़ा होगा कि आखिर जब दागी और आरोपी निदेशक कार्मिक पद पर रह सकता है तो दूसरों को अनापत्ति प्रमाण पत्र क्यों नहीं मिल सकता. आवेदक दागियों के किस्से भी बेहद ऊँचे किस्म के हैं तो निदेशक कार्मिक संजय तिवारी को एक दूसरे मामले में भी आरोप पत्र मिल सकता है।
फिलहाल इस विषय पर सबसे अहम् बात यह है कि आवेदन करने वालों में तमाम दागी, चार्जशीटेड, स्त्री उत्पीडक व अन्य तमाम गंभीर आरोपों वाले अधिकारी उस निदेशक कार्मिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करने की जुगत में हैं जोकि खुद संविदा पर है तथा विभाग द्वारा आरोपी भी है. किसी भी विभाग के लिए इससे ज्यादा हास्यास्पद बात और क्या हो सकती है की जिस एक महत्वपूर्ण पद के लिए आवेदक भी दागी और उनको अनापत्ति प्रमाण पत्र देने वाला भी दागी. कुल मिलाकर निगम के लिए आने वाला सप्ताह महत्वपूर्ण होने जा रहा है जहां निदेशक कार्मिक पर फैसला और निदेशक तकनीकी पद के आवेदकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने सम्बन्धी महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने हैं।
निगम में जहां एक तरफ संविदा पर चल रहे चार्जशीटेड निदेशक कार्मिक पर चेयरमैन को फैसला लेना है वहीँ दूसरी तरफ दागी निदेशक तकनीकी बीएस तिवारी के 30 जून के सेवानिवृत्त होने के बाद उसके उत्तराधिकारी की नियुक्ति होनी है. निदेशक तकनीकी की नियुक्ति में महत्वपूर्ण बात यह है कि पहले इस पद के लिए मुख्य अभियंता स्तर के अफसर ही आवेदन कर सकते थे लेकिन प्रबंधन ने इस बार इसमें विस्तार देते हुए वरिष्ठ अभियंता को भी आवेदन करने के लिए शामिल कर लिया है. फिलहाल निदेशक तकनीकी पद के लिए आवेदन करने वाले वालों में कई अफसर दागी और चार्जशीट पाए हुए हैं. चूंकि 27 जून को होने वाले साक्षात्कार से पहले इन आवेदकों को निदेशक कार्मिक से अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल करना जरूरी होना है ऐसे में जानकारों का कहना है कि जिनके केस में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है उनको अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया ही नहीं जा सकता।
सूत्रों की मानें तो प्रोबेशन पर चल रहे आरोपी निदेशक कार्मिक संजय तिवारी की ओबरा अग्निकांड की जांच की परीक्षण रिपोर्ट चेयरमैन ऊर्जा अलोक कुमार के पास पहुँच गयी है. अब देखना यह होगा कि इस गंभीर विषय पर वह कितना शीघ्र और उचित निर्णय लेते हैं. वैसे अभी तक अलोक कुमार का हंटर केवल संविदा कर्मियों पर ही चला है और बड़े मगरमच्छों को संरक्षण दिए जाने का काम किया गया है. जिसका अंदाजा संविदाकर्मियों के अंतर्तहसील तबादले से लगाया जा सकता है जबकि ये निगम के कर्मचारी हैं ही नहीं. कुल मिलाकर आने वाले सप्ताह में नजरें प्रमुख सचिव ऊर्जा और अध्यक्ष ऊर्जा निगम अलोक कुमार के उपर ही होंगी. अब देखना होगा की आने वाले सप्ताह में ऊर्जा विभाग की ऊर्जा किस तरफ जाती है।