नई दिल्ली ।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) सरकार की ओर प्रायोजित निवेश विकल्प है। पीपीएफ में निवेश पर पैसों को अच्छा और गारंटीड रिटर्न मिलता है। पीपीएफ में वर्तमान नियमों के अनुसार, अगर एक व्यक्ति को पीपीएफ अकाउंट से पूरा पैसा निकालना है तो उसे 15 साल के लॉक-इन पीरियड का इंतजार करना होगा। हालांकि मैच्योरिटी पीरियड से पहले भी बीच में आंशिक निकासी की अनुमति है। आइए, जानते हैं कि पीपीएफ खाते से मैच्योरिटी से पहले पैसा कैसे निकाला जा सकता है।
पीपीएफ अधिकतर सैलरी पाने वाले और मीडियम क्लास इनकम वाले ग्रुप के लिए इंवेस्टमेंट का सबसे लोकप्रिय ऑप्शन है, जिसमें जमा अमाउंट पर एक तय ब्याज मिलता है। पीपीएफ अकाउंट की मैच्योरिटी 15 सालों में होती है, जिसका मतलब है कि इस अकाउंट में तय समय के लिए पैसा लॉक रहता है। कोई भी व्यक्ति एक वित्त वर्ष में पीपीएफ अकाउंट में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कर सकता है। वर्तमान में पीपीएफ अकाउंट पर ब्याज दर 8 फीसद प्रति वर्ष तय की गई है।
पीपीएफ अकाउंट की गाइडलाइन्स के अनुसार, एक व्यक्ति पीपीएफ अकाउंट में जमा अमाउंट का अधिकतम 50 फीसद 5 साल के बाद ही वापस निकाल सकता है। पहले वित्त वर्ष को छोड़कर 5 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद इसकी गणना की जाती है, इसलिए पीपीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी 6 साल पूरे होने के बाद होती है।
पीपीएफ की खासियत यह है कि पीपीएफ अकाउंट से आंशिक निकासी भी टैक्स फ्री है। पीपीएफ अकाउंट एक वित्त वर्ष या एससेमेंट ईयर में आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक टैक्स में छूट के दावे के लिए पात्र है। पीपीएफ निवेश ईईई कर कैटेगरी में आता है, जिसका मतलब है कि पीपीएफ में जमा अमाउंट पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पर निकाले जाने वाला पैसा टैक्स फ्री है।