कोलम्बो ।”ईस्टर के दिन हमले के बाद हमारी बस्ती के ग़ैर मुसलमान लोग हमें आतंकवादी की तरह देखते हैं.”।
एमएचएम अकबर ये कहते हुए श्रीलंका में ईस्टर के दिन हमले का ज़िक्र कर रहे हैं. इस हमले में 250लोगों की मौत हो गई थी और इसका ज़िम्मेदार एक मुस्लिम कट्टरपंथी समूह को बताया गया।
दुनिया भर के मुसलमान रमज़ान के महीने में उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं लेकिन श्रीलंका में मुसलमानों के एक छोटे समूह ने ख़ुद को हिंसक समूहों से अलग दिखाने के लिए एक मस्जिद तोड़ दी.
अकबर ख़ान मदतुंगमा की मुख्य मस्ज़िद के ट्रस्टी हैं. उन्होंने बताया कि आख़िर क्यों अल्लाह में यक़ीन रखने वाले लोगों ये ऐसा क़दम उठाया।
संदेह की नज़र से देखत
अकबर कहते हैं, ”इस हमले के बाद पुलिस मस्ज़िद पर अक्सर आया करती थी. इसे देखकर लोग परेशान होने लगे. इस हमले ने हमारे और दूसरे समुदाय के बीच विश्वास बेहद कम कर दिया।
कथित तौर पर इस मस्जिद का उपयोग प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन तौहीद ज़मात (NTJ) के सदस्यों द्वारा किया जाता था, समूह को पर अप्रैल में द्वीपीय देश पर आत्मघाती विस्फोट करने का संदेह था।