मास्को।अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता और पड़ोसी देशों के सम्बन्धों व संस्कृति पर पुस्तक लेखन के लिए वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी को मास्को में सम्मानित किया जाएगा, 9 वें विश्व हिन्दी व संस्कृति सम्मेलन के उदघाटन सत्र में उन्हें अतिथि वक्ता के रूप में व्याख्यान भी देना है।
6-12 जून को मास्को के हॉलिडे इन के सभागार में आयोजित इस सम्मेलन में कई देश के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।भारत से कुल 42 प्रतिभागी वहां जा रहे हैं ।सम्मेलन का आयोजन विश्व हिन्दी साहित्य परिषद और मास्को की संस्था रूसी भारतीय मैत्री संघ द्वारा किया गया है।
लगभग एक दर्ज़न देशों की यात्रा कर चुके श्री चतुर्वेदी ने विदेशों में हिन्दी, भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म पर अपने लेखन को केंद्रित किया है, शीघ्र ही इन विषयों पर उनकी पुस्तकें प्रकाशित होनी हैं। भारत सरकार द्वारा मॉरीशस में आयोजित 11 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में श्री चतुर्वेदी ने विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लिया था और ‘ संचार माध्यम और भारतीय संस्कृति’ पर व्याख्यान दिया था, उल्लेखनीय है कि आपके द्वारा सिर्फ श्रीलंका में वर्ष 2004, 2005 और 2018 में भारतीय संस्कृति पर व्याख्यान दिए गए थे ।
उल्लेखनीय है कि श्री चतुर्वेदी का पूरा परिवार हिंदी और संस्कृत के विकास के लिए समर्पित रहा है, आपके पिता श्रध्येय स्व प्रोफ़ेसर डॉ मूलशंकर शर्मा की गिनती देश के प्रमुख भाषाविदों में होती है,भाषाविज्ञान पर उनकी पुस्तक आज भी विभिन्न विश्वविद्यालयों में पाठ्यपुस्तक के रूप में पढ़ाई जाती है, डॉ शर्मा मिर्ज़ापुर स्थित केबीपीजी कालेज के प्राचार्य और हिन्दी व पत्रकारिता विभाग के हेड रहे।
श्री चतुर्वेदी के पितामह पंडित प्रभाशंकर संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, राजा शारदा महेश इंटर कालेज में उन्होंने संस्कृत के प्रवक्ता पद पर भी कार्य किया था ।
श्री चतुर्वेदी के प्रपितामह अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, अविभाजित मिर्ज़ापुर के स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक पंडित महादेव चौबे हिंदी संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे, उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में एक परिवर्तन नामक समाचार पत्र भी प्रकाशित कराया था ।