लखनऊ,।
माहवारी स्वच्छता दिवस के एक दिन पहले यानि सोमवार को स्वास्थ्य विभाग को 20 करोड़ रुपए मिल गए हैं। यह धन उत्तर प्रदेश में सेनेटरी नेपकीन वितरण के लिए खर्च किया जाएगा ।
परिवार कल्याण विभाग संयुक्त निदेशक, प्रशिक्षण डॉक्टर ओ.पी. वर्मा ने सोमवार को बताया कि उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में जनवरी 2016 से किशोरी सुरक्षा योजना लागू है। इस योजना के अंतर्गत 10 वर्ष से 19 वर्ष तक की किशोरियों यानि सरकारी व परिषदीय शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्राओं को निशुल्क सेनेटरी नेपकीन वितरित किया जाता है। डॉक्टर वर्मा के अनुसार राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य योजना के लिए गत वर्ष 2018-19 के दौरान 20 करोड़ धनराशि प्राप्त होने की जानकारी मिली है। हालांकि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 96 करोड़ की मांग की गई है। उन्होने बताया कि वतर्मान वर्ष के लिए सोमवार को 20 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है। शेष आगे मिलने की उम्मीद है। उन्होने बताया कि गत वर्ष 2018-19 के दौरान प्रदेशभर में 69,85,207 सेनेटरी नेपकीन का वितरण किया गया है। वहीं वर्ष 2019-20 के दौरान सूबे की कक्षा 6 से कक्षा 12 तक पढ़ने वाली 34,01673 किशोरियाँ को सेनेटरी नेपकीन वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है।
वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जी. एम., आर.के.एस.के. डॉक्टर मनोज शुक्ल के बताया कि माहवारी स्वछता दिवस के पूर्व ही इस विषय जागरूकता कार्यक्रम कराने के लिए निर्देश जारी कर दिये गए हैं। इस बार जागरूकता संबंधी गतिविधियों में किशोर बालिकाओं के साथ किशोर बालकों को भी शामिल किया जा रहा है। ताकि किशोर वर्ग भी माहवारी स्वछता के प्रति जागरूक हो।
क्या होती है माहवारी
माहवारी एक लड़की के जीवन की स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसमें योनि से रक्तस्राव होता है। माहवारी एक लड़की के शरीर को माँ बनने के लिए तैयार करती है । एक लड़की की पहली माहवारी 9-13 वर्ष के बीच कभी भी हो सकती है । हर लड़की के लिए माहवारी की आयु अलग-अलग होती है । हर परिपक्व लड़की की 28-31 दिनों के बीच में एक बार माहवारी होती है । माहवारी चक्र की गिनती माहवारी के पहले दिन से अगली माहवारी के पहले दिन तक की जाती है । माहवारी का खून गन्दा या अपवित्र नहीं होता है । यह खून गर्भ ठहरने के समय बच्चे को पोषण प्रदान करता है । कुछ लड़कियों को माहवारी के समय पेट के निचले हिस्से में दर्द, मितली और थकान हो सकती है । यह घबराने की बात नहीं है ।
माहवारी का प्रबंधन व निपटान
माहवारी में सूती कपड़े के पैड का उपयोग सबसे अच्छा रहता है । अगर कपड़े का पैड नहीं है तो सूती मुलायम कपड़े को पैड की तरह मोड़कर उपयोग करना चाहिए । हर दो घंटे में पैड बदलना चाहिए । पैड बदलने के समय जननांग को पानी से धोकर सुखा लें । उपयोग किये हुए पैड को साबुन व ठंडे पानी से धोना चाहिए व् तेज धूप में सुखाना चाहिए । ऐसा करने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं । सूख जाने के बाद पैड को एक साफ़ धुली कपड़े की थैली में मोड़कर रखें । माहवारी के समय स्वाभाविक तौर पर संक्रमण फैलने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसलिए रक्त या स्राव के संपर्क होने पर शरीर को अच्छे से साबुन व पानी से धोना चाहिये । अगर किसी कपड़े या चादर पर माहवारी का खून लग जाये तो उसे धोकर ही दोबारा उपयोग में लाना चाहिये । माहवारी में उपयोग किये गए पैड या कपड़े को खुले में नहीं फेंकना चाहिये क्यूंकि ऐसा करने से उठाने वाले व्यक्ति में संक्रमण का खतरा हो सकता है । हमेशा पैड को पेपर या पुराने अखबार में लपेटकर फेंकना चाहिये या पैड को जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़ देना चाहिये ।
यह भी जानें
माहवारी के दौरान पौष्टिक खाना जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, फल व् दूध पीने से लाभ मिलता है। पौष्टिक खाने का सेवन करें इससे शरीर में खून की कमी या एनीमिया की शिकायत नहीं होती है । माहवारी के समय अपने नियमित काम को बंद करने की जरूरत नहीं होती । माहवारी के दौरान अवश्य नहाना चाहिए । नहाते समय अपने जननांगों को पानी से अच्छे से साफ़ करना चाहिए और नहाने के बाद जननांगों को अच्छे से सूती कपड़े से पोछना चाहिये । ऐसा करने से संक्रमण की सम्भावना कम रहती है ।