नई दिल्ली ।
प्रधानमंत्री कार्यालय में जब मोदी बैठक लेते हैं तो कई ब्रांचों में इंटरनेट की कुछ सेवाएं थोड़े समय के लिए बंद कर दी जाती हैं। खासतौर से, सोशल साइट पर तो पूरी तरह बैन रहता है। बैठक खत्म होने के तीस मिनट बाद इंटरनेट सेवा शुरु होती है। सुरक्षा और गोपनीयता के लिहाज से ये सब गतिविधियां नेशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) द्वारा की जाती हैं। पीएमओ की गोपनीयता बरकरार रहे, इसलिए वहां केवल डिप्टी सेक्रेटरी या उससे ऊपर के अधिकारियों को ही स्मार्ट फोन रखने की इजाजत दी गई है। बाकी बचे स्टाफ के पास इंटरनेट रहित सामान्य फोन होता है।
बता दें कि पीएमओ में कार्यरत स्टाफ ने एक बार पीएम के समक्ष यह आग्रह किया था कि उन्हें स्मार्ट फोन यूज करने की इजाजत दे दी जाए।इसके लिए जो भी नियम तय किए जाएंगे, वे उन्हें मंजूर होंगे। पीएम ने उच्च अधिकारियों से विचार विमर्श करने के बाद कहा था कि जैसा चलता है, चलता रहे। मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।
सूत्रों का कहना है कि पीएमओ के स्टाफ द्वारा जो फोन यूज किया जाता है, जांच पड़ताल के बाद एनआईसी उस पर अपना स्टीकर लगाती है।अगर किसी अधिकारी या कर्मचारी के फोन पर स्टीकर नहीं लगा होता तो उसका फोन पीएमओ से बाहर ही रखवा लिया जाता है। पिछले साल दो आईएएस अफसरों ने सोशल मीडिया पर पीएम को लेकर कोई कमेंट कर दिया था, उसके बाद से इंटरनेट के इस्तेमाल और सोशल साइटों पर नजर रखनी शुरू की गई थी। कोई भी दस्तावेज इधर उधर न हो, इसके लिए इंटरनेट की गतिविधियों पर हर पल नजर रहती है।
सभी के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं होती…
प्रधानमंत्री कार्यालय में जितने भी सेक्शन हैं, उनमें केवल एक कंप्यूटर पर इंटरनेट की सुविधा प्रदान की गई है। यहां पर कोई भी कर्मचारी अपने लॉग-इन से थोड़ी देर के लिए सोशल साइट चेक कर सकता है। बाकी कंप्यूटरों पर उतने ही प्रोग्राम डाले गए हैं, जितने पीएमओ की सुरक्षा और गोपनीयता के हिसाब से जरुरी हैं। यदि किसी को दफ्तर के कार्यवश अपने कंप्यूटर पर नेट चाहिए तो उसे अपने बॉस से बात करनी होगी। कर्मचारी द्वारा कोई प्रिंट निकालना होता है तो उसके लिए भी अलग से नियमावली बनाई गई है।