कोलकाता ।
पश्चिम बंगाल कैडर के विवादास्पद आईपीएस अधिकारी और राज्य के एडीजी (सीआईडी) राजीव कुमार ने फिर से बगावती तेवर दिखाए। चुनाव आयोग के आदेश पर उन्हें बृहस्पतिवार 10 बजे सुबह गृह मंत्रालय पहुंचना था, लेकिन वह दोपहर डेढ़ बजे नॉर्थ ब्लॉक पहुंचे। गृह मंत्रालय के कैडर कंट्रोलिंग अधिकारी से मुलाकात कर अपनी हाजिरी लगाई और वापस चले गए।
दरअसल बुधवार को चुनाव आयोग ने राजीव कुमार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली में हुई हिंसा की रिपोर्ट में गड़बड़ी के लिए सजा के तौर पर जिम्मेदारी से मुक्त कर गृह मंत्रालय आने का आदेश दिया था। राजीव के साथ पश्चिम बंगाल के प्रमुख सचिव (गृह) पर भी आयोग की गाज गिरी है।
इससे पहले गृह मंत्रालय ने सर्विस रूल तोड़ने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार से राजीव के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। चिट फंड मामले में सीबीआई को राजीव को कस्टडी में लेकर पूछताछ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा था।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि चूंकि आईपीएस अधिकारी राज्य सरकार के अधीन काम करते हैं, इसलिए केंद्र उनके खिलाफ सीधी कार्रवाई नहीं कर सकता। सूत्रों के मुताबिक बदले हालात में राजीव कुमार की मुसीबत बढ़ सकती है।
राजीव पर केंद्र व बंगाल सरकार में हो चुकी है तनातनी
शारदा चिट फंड घोटाले में सुबूत से छेड़छाड़ मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व राजीव कुमार और सीबीआई व केंद्र सरकार के बीच जबरदस्त तनातनी हो चुकी है। इस साल फरवरी में चिट फंड मामले में सीबीआई की टीम राजीव कुमार से पूछताछ के लिए कोलकाता पहुंची थी, तब पुलिस ने एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।
पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था और राजीव से पूछताछ नहीं होने दी। सीबीआई के विरोध में ममता धरने पर बैठ गईं और बतौर कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार भी कथित रूप से धरने पर बैठे थे।
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