पेरिस. फ्रांस के मार्सेल में 12वें सेलिंग वर्ल्ड कप सीरीज का आगाज हो चुका है। ये ओलिंपिक के बाद सेलिंग की दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इवेंट है। 2008 से हर साल होते आ रहे वर्ल्ड कप सीरीज में इस बार 59 देशों के करीब 700 सेलर हिस्सा ले रहे हैं। सभी 12 सीजन की बात करें तो कुल 75 देशों के 2000 से ज्यादा सेलर अब तक वर्ल्ड कप सीरीज में उतर चुके हैं। रियो ओलिंपिक-2016 में सेलिंग के 30 में से 28 मेडलिस्ट वही थे, जिन्होंने इससे पहले वर्ल्ड सीरीज में मेडल जीते थे।
वर्ल्ड कप सीरीज में कुल 8 तरह के इवेंट होने हैं- 470, 49-ईआर, 49-ईआर एफएक्स, फिन, लेजर, लेजर रैडिकल, नाक्रा-17, आरएसएक्स। ये सभी इवेंट नाव की बनावट के आधार पर अलग-अलग होते हैं। मेडल के लिए रेस 20 और 21 अप्रैल को होगी।
4 अलग-अलग तरह की नाव होती है, इन्हीं से रेस कराई जाती है
मोनोहल: वह नाव, जिसमें सिर्फ एक पतवार होती है। ये गहरे पानी के लिए कारगर रहती है।
मल्टीहल: वह नाव, जिसमें एक से अधिक पतवार होती हैं। पतवार आपस में कनेक्ट होती हैं।
विंडसर्फर: तेज हवा और बहाव में इस्तेमाल की जाने वाली नाव। खासतौर पर सर्फिंग में इस्तेमाल।
काइट बोर्डर: स्नोबोर्डिंग की तरह ही पानी पर बोर्डिंग के लिए काइट बोर्डर इस्तेमाल होती है।
इटली के तीता और बांती ने पिछले साल रेस जीती थी
पिछले साल इटली के सेलर तीता और बांती ने सेलिंग वर्ल्ड सुपर सीरीज का खिताब जीता था। इसके बाद उन्होंने यूरोपियन चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता। हालांकि हाल ही में हुए ट्रोफियो सेलिंग कॉम्पटीशन में उन्हें हार मिली, जिसके बाद उनका दावा कमजोर हुआ है। इस साल रेस में न्यूजीलैंड की टीम आगे चल रही है।
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