घर में बनाएं सेहत की बगिया, देसी औषधियों से दूर करें रोग

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लाइफस्टाइल डेस्क. सजावटी पौधों के साथ कुछ महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों को भी होम गार्डन, घर में ख़ाली पड़े स्थान या गमलों में लगाया जाए तो गार्डनिंग के अनुभव में पौधों की अहमियत समझना आसान होगा। ये पौधे घर की बगिया में उगाने पर कई तरह के रोगों पर क़ाबू पाने में मददगार होते हैं। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आयुर्वेद की औषधियां जितनी ताज़ी होती हैं, उतनी अधिक प्रभावी होती हैं। बागवानी विशेषज्ञ आशीष कुमार से जानिए ऐसे औषधीय पौधाें के बारे में, जिन्हें घर में लगाना कई तरह से फायदेमंद होता है…

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    इसे नींबू सुगंधित बेसिल भी कहा जाता है। लेमन बेसिल में सिट्राल नामक रासायनिक तत्व पाया जाता है। लेमन बेसिल का उपयोग सूप, स्टूज़, सब्जि़यों और तले हुए व्यंजनों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसकी पत्तियों का व्यापक उपयोग लेमन-टी में किया जाता है। लेमन बेसिल की पत्तियों को अक्सर सलाद अथवा कच्ची सब्जि़यों के साथ कच्चा खाया जाता है।

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    तुलसी का वानस्पतिक नाम ‘ऑसीमम सैक्टम’ है। आमतौर पर घरों में दो तरह की तुलसी देखने को मिलती है। एक श्री तुलसी जिसकी पत्तियां हरी होती हैं तथा दूसरी कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियाें नीलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। आयुर्वेद में तुलसी के पौधे के हर भाग को स्वास्थ्य के लिहाज़ से फ़ायदेमंद बताया गया है। तुलसी की जड़, शाखाएं, पत्ती और बीज सभी का अपना-अपना महत्व है। इसकी पत्तियों के रस को बुखार, खांसी, ब्रोंकाइटिस, पाचन सम्बंधी समस्या में देने से राहत मिलती है। त्वचा संबंधी रोगों में तुलसी बेहद फ़ायदेमंद है। इसके इस्तेमाल से कील-मुंहासे ख़त्म हो जाते हैं और चेहरा साफ़ होता है।

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    इसे ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है। घृतकुमारी का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का एक गूदेदार और रसीला पौधा होता है। एलोवेरा त्वचा रोगों को ठीक करने के अलावा, गैस, कैंसर, बड़ी आंत का संक्रमण, यौन रोग, कब्ज़, जोड़ों का दर्द आदि बीमारियों में लाभप्रद है। तेज़ धूप में निकलने से पहले एलोवेरा का रस अच्छी तरह त्वचा पर लगाने से त्वचा पर सनबर्न का कम असर पड़ता है। फटी एड़ियों पर एलोवेरा लगाने से वे बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं।

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    इसे अमृता भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम ‘टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया है। गुडूची का उपयोग पीलिया, रक्त संबंधी विकार, मधुमेह एनीमिया, डेंगू, पाचन शक्ति में दिक़्क़त, खांसी, सर्दी, चर्मरोग, कमज़ोरी, पेट के रोग, सीने में जकड़न, जोड़ों में दर्द, खांसी और भूख बढ़ाने वाली प्राकृतिक औषधि के रूप में होता है। गिलोय का प्रयोग सभी प्रकार के बुख़ार में किया जाता है। हृदय एवं यकृत संबंधी बीमारियों में यह लाभकारी है। गिलोय का प्रयोग मूत्र संबंधी विकारों एवं गठिया के लिए भी किया जाता है। इन्हीं औषधीय गुणों के कारण यह त्रिदोष शामक का कार्य करती है। सम्पूर्ण शरीर के कायाकल्प के लिए भी गिलोय बेहतर औषधि साबित होती है।

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