तालाब में स्नान करने से शरीर में हुए फोड़-फूसी एवं चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

सोनभद्र ,शक्तिनगर।
उर्जाचंल की शक्तिपीठ ज्वालामुखी देवी मंदिर के पास पीडब्लूडी मोड़ से कोटाबस्ती खड़िया जाने वाली सड़क के बगल में स्थित अनुष्ठानिक तालाब का भी पौराणिक महत्व बताया जाता है। वासन्तिक नवरात्र में दूर- दराज से आने वाले दर्शनार्थी तालाब में स्नान कर दर्शन पूजन करते हैं।
अनुष्ठानिक तालाब का इतिहास भी मंदिर के इतिहास से जुड़ा बताया जाता है। पुजारी परिवार के हेमन्त मिश्रा के दादा स्व० रामलखन मिश्रा जो वर्षों तक मंदिर के प़धान पुजारी रहे ने अपने स्वर्ग वासी होने के पहले अनुष्ठानिक तालाब के बारे में बताया था कि माँ ज्वालामुखी देवी के स्थापना काल से ही अनुष्ठानिक तालाब स्थित है।इस तालाब में वर्ष भर हेली पैड की पहाड़ी में निर्मित सुरंग के रास्ते पानी आता था।गर्मी के मौसम मे भी तालाब में पानी लहराता रहता था।चरवाहा एवं गांव के लोग यहां पानी पीते एवं स्नान करते थे।उस समय तालाब कच्चा था।चैत नवरात्रि में दूर दराज से पैदल आने वाले दर्शनार्थी रात मंदिर व तालाब के आसपास रुक कर खाना बनाते खाते थे तथा सुबह उठ कर स्नान आदि कर माँ का दर्शन पूजन करते थे।ऐसी मान्यता है कि तालाब में स्नान करने से शरीर में हुए फोड़-फूसी एवं चर्म रोग दूर हो जाते हैं। परियोजनायें स्थापित होने के साथ तालाब के आस पास बस्तियां बस गयी। सुरंग का पानी तालाब के पहाड़ी पर बसी बस्ती के पास झरना बना कर रोक दिया गया।अब झरने से होकर तालाब में पानी आता है जिससे उसके शुद्धता पर सवाल उठने लगा है।एनटीपीसी परियोजना द्वारा अनुष्ठानिक तालाब का सुन्दरी करण कराया गया है। आज भी बाहर से आने वाले लोग रात्रि रुकते हैं तो सुबह तालाब में स्नान कर माँ का दर्शन -पूजन करते हैं। चैत नवरात्र पर मंदिर परिसर में लगने वाले पाक्षिक मेले को भब्य एवं स्वच्छ बनाने एवं दर्शनार्थियों सुविथा के लिए एसडीएम दुद्धी कृपाशंकर पाण्डेय ने मेला ठेकेदार को तालाब तथा तालाब का पानी साफ कराने का निर्देश दिए थे।ठेके दार ने तालाब की सफाई कराकर दर्शनार्थियों के लिए उसके पानी को स्वच्छ बनाया। लोगों का कहना है कि यदि तालाब की निगरानी नही कराई गयी तो आसपास के लोग गन्दे सामानों को फेंक कर पुन: तालाब व उसके जल को गन्दा कर देंगे।

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