संजय द्विवेदी
लख़नऊ।उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष के कार्यकाल के 2 वर्ष व्यतीत होने पर विधान भवन में कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर विधान सभा की तरफ से प्रकाशित पुस्तक ‘‘उत्तर प्रदेश विधान सभाअध्यक्ष के 2 वर्ष‘‘ का उद्घाटन अध्यक्ष व संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना तथा न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक ने किया। श्री सुरेश श्रीवास्तव,मा0 विधायक एवं उ0प्र0 मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री हेमन्त तिवारी व अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। उ0प्र0 विधान सभा के प्रमुख सचिव ने ‘‘उत्तर प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष के 02 वर्ष‘‘पुस्तक के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में पहली बार अध्यक्ष के निर्वाचन के अवसर पर हाउस आफ कामन्स में अध्यक्ष द्वारा छिपाने की पुरानी प्रथा का अनुसरण नहीं किया गया है। श्री अध्यक्ष द्वारा यूरोपीय परिपाटी से परे भारतीय संस्कृति के आयाम में नई परंपरा का सूत्रपात किया। नियम-301 के अन्तर्गत पूर्व स्थापित परंपरा के अनुसार15 सूचनाएं उठाने की अनुमति थी, से बढ़ाकर 20 किया गया। अविलम्बनीय लोक महत्व के प्रश्न,नियम-51 की 10 सूचनाओं के विपरीत मा0 विधायकों की अपने क्षेत्र की समस्याओं के लिए अति उत्सुकता को देखते हुए 20 से भी अधिक सूचनाएं स्वीकार की गयी। रिकार्ड संख्या में 18283प्रश्न प्राप्त हुए। 11862 प्रश्न स्वीकार किए गए। 4904 प्रश्न उत्तरित हुए। यह संख्या उत्साहवर्धक महत्वपूर्ण है। संसदीय अनुश्रवण समिति नाम की एक नई समिति गठित की गयी। यह माननीय सदस्यों की विधायी और प्रोटोकाल की समस्याओं पर विचार करेगी। संसदीय क्षेत्र में शोध करने वाली पी0आर0एस0 संस्था द्वारा संसदीय अनुश्रवण समिति की प्रशंसा में कहा गया की विश्व में इस प्रकार की कोई समिति अस्तित्व में नहीं है। संस्था द्वारा इस प्रकार की समिति की सराहना की गयी।‘‘संसदीय दीपिका’’त्रैमासिक के स्थान पर मासिक प्रकाशन प्रारम्भ हुआ। इसमें सदस्यों के संसदीय ज्ञान हेतु मा0अध्यक्ष का नियमित कालम अथ,संविधान सभा में दिए गए महानुभावों के भाषण, संविधान सभा से व विधान सभा में दिए गए भाषणों में से 1 भाषण विधान सभा के अतित के स्तम्भों का प्रकाशन किया जाता है। संसदीय कार्य मंत्री, श्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि श्री अध्यक्ष का व्यक्तित्व बहुआयामी है। वे संसदीय साहित्यिक सांवैधानिक सभी विषयों के मर्मज्ञ है। तमाम परंपराएं इनके कार्यकाल में प्रारम्भ की गयी।‘‘संसदीय अनुश्रवण समिति’’ का गठन किया जाना इन्हीं के मार्गदर्शन में संभव हो पाया है। मा0 न्याय मंत्री, श्री बृजेश पाठक ने कहा कि वर्तमान अध्यक्ष के इस पद पर आसीन होने से अध्यक्ष पद की गरिमा बढ़ी है। पक्ष और विपक्ष के बीच सुन्दर, सौमनस्यपूर्ण वातावरण स्थापित कर सदन में जिस प्रकार की स्वस्थ बहस का वातावरण प्रदान किया, वह हमें लोक सभा सहित अन्य सदनों का सदस्य रहने के बीच देखने को नहीं मिला। वरिष्ठ विधायक श्री सुरेश श्रीवास्तव ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि बहुत अरसे बाद हमें ऐसे विधान सभा अध्यक्ष प्राप्त हुए है जिनकी अध्यक्षता में विधान सभा की गरिमा बढ़ी है। सर्वगुण संपन्न अध्यक्ष हमें मिले हैं। लेखनी के माध्यम से देश और समाज को नई दिशा देने का काम किया है। वहीं उत्तर प्रदेश की विधान सभा में अध्यक्ष के रूप में नई गरिमामयी परंपरा व पक्ष विपक्ष का विश्वास अर्जित कर सुन्दर एवं सारवान बहस का सुअवसर दिया है। उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त पत्रकार संघ के अध्यक्ष श्री हेमन्त तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रथम बार विधान सभा में पहली बार पत्रकारों के लिए पत्रकार गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें नए पत्रकारों को बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला। जो सामांजस्य पक्ष विपक्ष के बीच वर्तमान अध्यक्ष ने स्थापित किया है ऐसा विधान सभा की दीर्घकालिक रिपोर्टिंग के बीच कभी नहीं देखा। इस अवसर पर श्री अध्यक्ष ने कहा कि 2 वर्ष के कार्यकाल में सबसे बड़ी उपलब्धि है आशावाद का बढ़ना। विधायी सदनों के कम कामकाज पर आमजन में निराशा बढ़ रही है। 2 वर्षों की इस अवधि में निराशा घटी और आशा बढ़ी। प्रदेश की 22 करोड़ जनता को यह संदेश देने में विधान सभा सफल रही है कि उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इनके द्वारा चुने गए सदस्य तत्परशील है। श्री दीक्षित ने कहा कि किसी भी संस्था या व्यक्ति के जीवन में वर्ष या 2 वर्ष का कार्यकाल व्यतीत हो जाने पर आत्मविश्लेषण एवं विश्लेषण का अवसर आता है। 2 वर्षों में विधान सभा में मा0 मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष श्री राम गोविन्द चैधरी, नेता बसपा श्री लालजी वर्मा, नेता कांग्रेस श्री अजय कुमार लल्लू, नेता सोहेल देव पार्टी श्री ओम प्रकाश राजभर एवं नेता अपना दल श्री नील रतन सिंह पटेल (नीलू) के सहयोग से विधान सभा के संचालन को नई गति मिली। विधान सभा में पक्ष-प्रतिपक्ष के संवाद का सुंदर वातावरण बना।श्री अध्यक्ष ने कहा कि इस सदन में 235 नये सदस्य चुनकर आए है। पक्ष-विपक्ष के नए सदस्यों ने राज्यपाल के अभिभाषण, सामान्य बजट की चर्चाओं में बोलने के लिए होड़ लगी। 100 से अधिक विधायकों ने विभिन्न चर्चाओं में भाग लिया। बोलने के लिए विधायको के लिए इस प्रकार की उत्सुकता लोकतंत्र में आशावाद की वृद्वि कही जा सकती है। श्री अध्यक्ष ने कहा कि जीवन में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष बारी-बारी से आते हैं। ऐसे ही सदन के भीतर भी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष बारी-बारी से आते है। कभी कोई बोलता है, तो लगता है कि पूर्णिमा का चाँद खिल गया है। कभी कोई बोलता है तो लगता है कि अमावस आ गया है। समाचार पत्रों में अमावस की चर्चा के साथ पूर्णिमा की ज्यादा चर्चा होनी चाहिए।