लोकसभा चुनाव में दागी प्रत्याशियों पर एडीआर की पैनी नजर

@भीमकुमार

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दुद्धी । सोमवार को ग्राम स्वराज्य समिति के सभागार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ए डी आर के स्टेट कॉर्डिनेटर अनिल शर्मा ने पत्रकारों से बात- चीत करते हुए कहा कि बेहतर और निष्पक्ष चुनाव के लिए लगातार ए डी आर प्रयास कर रहा है।2014 के लोकसभा चुनाव के पहली बार नोटा का विकल्प दिया गया और 2017 के चुनाव में भी आपराधिक मामलों में वांछित उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई ।मुख्य कॉर्डिनेटर डॉ संजय सिंह ने पत्रकार वार्ता में कहा कि लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने आपराधिक उम्मीदवारों को एक इलेक्ट्रानिक एवं दो प्रिंट मीडिया में अपनी आपराधिक रिकार्ड छपवाने की निर्देश दिए गए हैं ताकि मतदाता अपने उम्मीदवारों को बारे में जान सके लेकिन उम्मीदवार और राजनितिक पार्टियां छोटे से छोटे साइज और लघु समाचार पत्रों में आपराधिक रिकार्ड छपवा कर कोरम पूरा कर रहे हैं ।उन्होंने कहा कि दागी उम्मीदवारों को टिकट देने वाली पार्टियों को भी दागी घोषित किया जाना चाहिए।आखिर राजनितिक दलों के पास कौन सी मजबूरी है कि वह दागी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार रही हैं ।इसलिए देश के युवा मतदाताओं को चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी ताकि संसद में दागी उम्मीदवार न पहुच सके ।उन्होंने बताया कि देश में 90 करोड़ मतदाता हैं जिसमें 45 करोड़ युवा मतदाता हैं ।बता दें कि 532 लोकसभा क्षेत्रों के सर्वे में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी हैं जबकि दूसरे नम्बर पर स्वास्थ्य और तीसरे नम्बर पर शुद्ध पेयजल आपूर्ति की समस्या है । प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ए डी आर स्टेट कॉर्डिनेटर अनिल शर्मा, मुख्य कॉर्डिनेटर संजय सिंह ,महेशानन्द भाई और विरेंद्र सिंह मौजूद रहे।

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