साइंस डेस्क. दुनियाभर में पक्षी, स्तनधारी और उभयचर की 1200 प्रजातियों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर समय इनका संरक्षण नहीं किया गया तो ये विलुप्त हो जाएंगे। ये बात ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी और वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी की संयुक्त रिसर्च में सामने आई है।शोधकर्ताओं ने ऐसी जगहों को नक्शा तैयार किया है जो इनके लिए विलुप्ती का कारण बन रही हैं और वो क्षेत्र जो इनके लिए अनुकूलित है।
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शोधकर्ताओं 5,457 चिड़ियाें, स्तनधारियों और उभयचरों द्वारा सामने किए जाने वाले खतरों को चिह्नित किया है। रिसर्च के मुताबिक, ज्यादातर प्रजातियों में विलुप्ति का कारण जैव विविधता का दिन प्रतिदिन घटना है जिससे उनका वासस्थान प्रभावित हो रहा है।
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शोधकर्ताओं की टीम ने खेती, शहरीकरण सड़क, रेल, जनसंख्या, रात के दौरान प्रकाश व्यवस्था जैसे बिंदुओं के कारण प्रभावित होने वाली प्रजातियों के वासस्थान काे चिह्नित किया है। साथ ही ऐसी जगह भी पता लगाई हैं जहां से इन्हें विलुप्त होने से बचाया जा सकता है।
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शोध के अनुसार, दक्षिण-पूर्व एशिया, मलेशिया, ब्रूनेई और सिंगापुर इन प्रजातियों के लिए सबसे खतरनाक देश साबित हुए हैं। इसके अलावा इस लिस्ट में भारत, म्यांमार और थाईलैंड के जंगल भी शामिल हैं। रिसर्च में दक्षिण-पूर्व एशिया के ही कुछ खास स्पॉट, अमेजन के वर्षा वन, पश्चिमी अफ्रीका का लाइबेरिया ऐसे जगह है जो प्रजातियों के विलुप्त होने से बचा सकते हैं।
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शोधकर्ता जेम्स एलन का कहना है कि 395 (7फीसदी) प्रजातियां ऐसी हैं जो अपने ही वासस्थान में विलुप्त हो सकते हैं। यह इसलिए भी चिंता की बात है क्योंकि हमने खासतौर पर विशेष प्रजातियों को चिह्नित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सबसे 52 फीसदी स्तनधारी ऐसे चिह्निंत किए गए हैं जो विलुप्ति की कगार में हैं। स्तनधारियों पर सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है।
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खास बात है कि रिसर्च में बीमारियों और जलवायु परिवर्तन के कारण प्रजातियों पर पड़ने वाले असर को नहीं शामिल किया गया है। शोध में सामने आया कि दुनियाभर में धरती के 84 फीसदी हिस्से में अलग-अलग प्रजातियां इंसानों से प्रभावित होती हैं।