लाइफस्टाइल डेस्क. आज किस डे है। प्रेम का इजहार करने वाला चुंबन न सिर्फ दो चाहने वालों के प्यार में गहराई लाता है बल्कि ये इंद्रियों को संकेत भी पहुंचाता है। वैज्ञानिक हेलन फिशर के मुताबिक, लगभग 90 प्रतिशत लोग अपने प्यार के इजहार के लिए चुंबन करते हैं। यह एक शक्तिशाली क्रिया है इसलिए ये दुनिया में हर जगह होता है। विज्ञापन कहना है कि चुंबन के समय जुड़े हुए होंठ इंद्रियों को रफ़्तार तो देते ही हैं साथ ही ये हमारे संगी के साथ रिश्ते से जुड़े तीक्ष्ण संकेत भी देते हैं।जानिए चुंबन पर हुए शोध इसके बारे में क्या कहते हैं…
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शिकागो में आयोजित एक सम्मेलन में वैज्ञानिकों ने कहा कि पुरूष की लार में मौजूद रसायन उसकी प्रजनन क्षमता और स्वास्थय विकास का संकेत देता है। शायद इसलिए अक्सर पहला चुंबन आखिरी चुंबन भी हो सकता है। किस वास्तव में प्यार आंकने का तरीका है जो बेहद पॉजिटिव या निगेटिव भी हो सकता है।
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हेलेन फिशर के मुताबिक, जानवरों में भी चुंबन लेने की प्रक्रिया होती है। चिम्पैंजी एक-दूसरे को किस करते हैं। लोमड़ियां मुंह चाटती हैं और हाथी सूंड़ एक-दूसरे के मुंह में रख देते हैं। यह रिश्ते की गहराई को समझने का एक तरीका है। चुंबन लेने के दौरान इंसान एक-दूसरे को छूने के अलावा महसूस करता है।
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- फिशर के मुताबिक, चुंबन मस्तिष्क में विशेष तौर पर तीन बिंदुओ पर तेजी लाने में मदद करता है।एक, पुरूष की लार में पाए जाने वाले रसायन के कारण वो अपने संगी में सेक्स की इच्छा को प्रबल करता है।
- दूसरे चुंबन प्यार के माहौल को रोमांटिक बनाता है और तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु ये है कि चुंबन से प्रेम और रिश्ते की मज़बूती को बढ़ावा मिलता है।
- इस शोध को करने के लिए 15 युवा जोड़ों को शामिल किया गया था। इन्हें दो भागों में बांटकर एक वर्ग को 15 मिनट तक चुंबन लेने को कहा गया और दूसरे वर्ग को केवल हाथ पकड़कर बात करने के लिए कहा गया था।
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प्रो. विलियम जानकोवायक के अनुसार, ‘किस’ करना पश्चिमी समुदाय की देन है जो एक से दूसरी पीढ़ी में जाता रहा है। कुछ शोधकर्ता इसे इतिहास से जोड़ते हैं उनका कहना है कि ‘किस’ जैसी किसी क्रिया का सबसे पुराना उदाहरण हिंदुओं की वैदिक संस्कृति में मिलता है जो करीब 3500 साल पुराना है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर राफेल वलोडारस्की कहते हैं कि ‘किस’ करना हाल-फिलहाल का चलन है।