ग्लोबल वॉर्मिंग से 21वीं सदी के अंत तक समुद्रों का रंग बदल जाएगा: अध्ययन

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लाइफस्टाइल डेस्क. अमेरिकी यूनिवर्सिटी एमआईटी के अध्ययन के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण 21वीं सदी के अंत तक दुनिया के 50 फीसदी से अधिक समुद्रों का रंग बदल जाएगा। एमआईटी के प्रोफेसर स्टेफनी के मुताबिक, उपोष्णकटिबंधीय (सबट्रॉपिक्स) जैसे इलाकों में पड़ने वाले समुद्रों का रंग ‘गहरा नीला’ और ध्रुवीय समुद्रों का रंग ‘गहरा हरा’ हो जाएगा। हालांकि, इन बदलावों को नग्न आंखों से देखना बहुत मुश्किल होगा।

  1. शोध के मुताबिक, जब पानी का रंग हरा होता है तो उसका कारण सतह पर उगे फायटोप्लैंक्टन होते हैं। ध्रवीय समुद्र का तापमान बढ़ने से इनकी मात्रा गहराई तक बढ़ सकती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा वैसे इनकी तादाद में बढ़ोतरी होगी। समुद्र का पानी नीला होने का मतलब है फायटोप्लैंक्टन की संख्या में कमी।

  2. फायटोप्लैंक्टन सूक्ष्म जीव होते हैं जो समुद्री जीवों के भोजन का काम करते हैं। इनकी संख्या कार्बन डाई ऑक्साइड, सूरज की रोशनी और पानी में मौजूद पोषक तत्वों के आधार पर बढ़ती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र की अम्लता का सीधा असर फायटोप्लैंक्टन पर पड़ेगा। इनकी ग्रोथ में कमी होने पर समुद्री जीवों के लिए भोजन का संकट पैदा होगा।

  3. प्रोफेसर स्टेफनी के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में मौजूद छोटी शैवालों को कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करना मुश्किल हो रहा है। ऐसा ही रहा तो समुद्र में जीवन की कल्पना करना मुश्किल हो जाएगा। इनके न रहने पर कार्बन वापस समुद्र से वातावरण में चला जाएगा और कई तरह की समस्याएं पैदा करेगा। कुछ का हम अभी सामना कर रहे हैं।

  4. नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित शोध के अनुसार, वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए कंम्प्यूटर मॉडलिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है। ओशियनोग्राफर अमला महादेवन का कहना है कि नई तरह से दी गई जानकारी जलवायु परिवर्तन और उसके खतरों को बताने में बेहतर है। यह बड़े स्तर पर खतरों की जानकारी के बारे में आगाह करती है

  5. ''

    • बढ़ते तापमान के कारण शार्क अपना रास्ता भटक रही हैं। यह दावा ऑस्टेलियाई वैज्ञानिकों ने किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, समुद्र का तापमान बढ़ने से शार्क के तैरने की दिशा पर फर्क पड़ रहा है। नतीजतन वे सिर्फ दाईं ओर ही तैर रही हैं। जर्नल सिमेट्री में यह शोध प्रकाशित किया गया है।
    • शोधकर्ता ने यह अध्ययन शार्क की पोर्ट जैक्सन प्रजाति पर किया है। यह दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के तटीय क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती हैं।
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      Global warming is changing the colour of the oceans says MIT study

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