अलवर.दुनिया की सबसे पुरानी पर्वतमाला- अरावली खतरे में है। अरावली के 31 पहाड़ गायब हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट अरावली में अवैध खनन पर सरकार से सख्त नाराजगी जता चुका है। सरकार पर कोर्ट की लगातार सख्त टिप्पणियों के बाद भास्कर ने अरावली यात्रा शुरू की। अलवर से भिवाड़ी के बीच अलग-अलग क्षेत्रों में 200 किमी तक अरावली की खोज की। सामने आया अब अरावली के सिर्फ ठूंठ बचे हैं। हैरानी यह है कि राजस्थान की लुप्त होती जीवनरेखा पर कभी भी किसी भी सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार काे फटकार लगाते हुए कहा था-राज्य में सरकारी मशीनरी सड़ चुकी है। अफसरों ने अवैध खनन करने वालों से हाथ मिला रखे हैं। इससे पूर्व 23 अक्टूबर 2018 को कोर्ट ने कहा था-क्या लोग हनुमान बन गए हैं जोअरावली पर्वत को उठा ले गए?
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चार राज्यों में फैली इस पर्वतमाला का सबसे बड़ा भाग राजस्थान में है। 692 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वतमाला की राजस्थान में 550 किलोमीटर लंबाई है। समुद्र तल से इन पर्वतमालाओं की औसत उंचाई 930 मीटर है।
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अरावली अपने आप में एक ईकोसिस्टम है। जीवन की कितनी ही प्रजातियों का यह घर है। इन पहाड़ियों का जंगल फेफड़ों का काम करता है।
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यह राजस्थान को रेगिस्तान में तब्दील होने से रोकने वाली सबसे मजबूत दीवार है। इसकी बनावट कुछ इस तरह है कि एक तो यह रेगिस्तान को आगे बढ़ने से रोकती है, दूसरे माॅनसून के समानांतर होने से उसे एक जगह नहीं रोकतीं।