खूंटी (मुकेश सिंह चौहान/रंजीत प्रसाद/राहुल).अड़की प्रखंड के लोंगकाटा जंगल में 29 जनवरी को पुलिस और पीएलएफआई के बीच हुई फायरिंग में मारे गए संत थॉमस सोय को पुलिस भले ही ‘बालिग उग्रवादी’ बता रही हो, मगर थॉमस के गांव नारंगा तक पहुंची भास्कर टीम की पड़ताल बताती है कि उसकी उम्र महज 12 साल थी। वह वास्तव में मुरहू के स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ता था और स्कूल टीचर और प्रिसिंपल भी इसकी तस्दीक करते हैं। स्कूल रिकॉर्ड में तो उसकी जन्मतिथि 2008 की है, जिसके मुताबिक वह 10 साल का था। हालांकि थॉमस की मां पौलिना सोय से भास्कर टीम ने बात की तो पता चला कि थॉमस का जन्म 2006 में हुआ था। स्कूल में भर्ती करवाते समय बाकी लोगों की तरह उन्होंने भी थॉमस की उम्र दो साल घटाकर लिखवाई थी। मां का कहना है कि थॉमस तो उससे पूछे बिना खेलने तक नहीं जाता था। 21 जनवरी को भी वह मुचिया में चल रही हॉकी प्रतियोगिता देखने के लिए कहकर निकला था। फिर लौटा ही नहीं।
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थॉमस के पिता सबन सोय गांव के स्कूल में ही पारा शिक्षक थे। थॉमस पहले उनके ही स्कूल में पढ़ता था। मां ने कहा कि 21 को जाते समय थॉमस ने वादा किया था कि वह 22 से स्कूल जाएगा।
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खूंटी एसपी आलोक यूं तो थॉमस के आधार कार्ड को भी फर्जी बता चुके हैं। मगर मामले की जांच करने के लिए खूंटी थाना प्रभारी राजेश प्रसाद और मुरहू थाना प्रभारी उदय कुमार गुप्ता शुक्रवार को थॉमस के स्कूल और नारंगा गांव में उसके घर भी पहुंचे।
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थॉमस की क्लास टीचर मंजुल प्रभात बारला ने कहा कि अन्य बच्चों की तुलना में थॉमस की उपस्थिति थोड़ी कम थी, पर वह स्कूल अवश्य आता था। प्रिंसिपल इसराइल मुुंंडूू ने कहा कि थॉमस का नामांकन दूसरे क्लास में 2016 में किया गया था। वह अंतिम बार स्कूल 7 दिसंबर को आया था। कद-काठी बड़ी होने से वह अन्य बच्चों से थोड़ा बड़ा दिखता था।