नई दिल्ली. वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा है कि 1995 में एचएएल (हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लि.) को 20 हल्के युद्धक विमान विमान तेजस बनाने का आर्डर दिया गया था, लेकिन 34 साल बाद कंपनी केवल 10 विमान ही तैयार करके वायुसेना को दे सकी है। धनोआ ने गुरुवार को आयोजित सेमिनार में यह बात राफेल लड़ाकू विमान का कांट्रेक्ट एचएएल को न दिए जाने के विवाद पर कही।
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भारत सरकार ने 126 राफेल खरीदने के लिए जनवरी 2012 में फ्रांस की दैसो एविएशन को चुना था। इसके तहत कुछ विमान तैयार हालत में भारत आने थे, जबकि बाकी विमान दैसो और एचएएल को भारत में ही तैयार करने थे।
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दैसो और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच आपसी सहमति नहीं बन पाने से ये सौदा आगे नहीं बढ़ पाया। एचएएल को राफेल बनाने के लिए दैसो से 2.7 गुना ज्यादा वक्त चाहिए था।
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सितंबर 2016 की डील के मुताबिक वायुसेना को 36 तैयार राफेल विमान मिलने हैं। डील के नियम-शर्तों के मुताबिक एक चौथाई रकम फ्रांस सरकार को चुकाई जा चुकी है। सरकार चाहती है कि तय शेड्यूल के मुताबिक सितंबर 2019 में पहले राफेल लड़ाकू विमान की भारत को डिलीवरी मिल जाए।
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2012 के कांट्रेक्ट में ऑफसेट पार्टनर एचएएल को बनाया गया था, लेकिन 2016 के समझौते में यह जिम्मा अनिल अंबानी की कंपनी को दिया गया है।
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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल का ऑफसेट कांट्रेक्ट एचएएल से लेकर अनिल अंबानी को देने पर सवाल खड़े किए थे। हालांकि इन विवादों को दरकिनार कर राफेल डील पर मोदी सरकार आगे बढ़ गई है।
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विवादों और डील में घोटाला होने के विपक्ष के आरोपों के बीच सरकार ने 36 लड़ाकू विमानों के ऐवज में 25% रकम फ्रांस को चुका दी है। यह डील 59 हजार करोड़ रुपए की मानी जा रही है।
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