*दो डंपरों की भिड़ंत से वाहन में लगी आग, चालक की जलकर हुई दर्दनाक मौत*
सिगरौली।एनसीएल की निगाही खदान में गुरुवार देर रात एक बड़ा हादसा पेश आया, जब दो डंपर की भिड़ंत में लगी आग से डंपर चालक की जलकर दर्दनाक मौत हो गई। जानकारी अनुसार *निगाही खदान में आउटसोर्सिंग कंपनी बीपीआर में चलने वाले स्कैनिया डंपरों* की भिड़ंत में यह हादसा हुआ है।
रात करीब 11:50 पर स्कैनिया *डंपर क्रमांक UP 64T 7840 के रात्रि पाली के दौरान चालक संतोष कुमार शाह* पिता रामजी शाह उम्र 24 वर्ष निवासी नंद गांव डंपर लेकर खदान के अंदर जा रहा था कि जैसे ही टॉप बेंच पर टिटही पहाड़ी के पास पहुंचा तो विपरीत दिशा से तेज रफ्तार आते हुए स्कैनिया *डंपर क्रमांक UP 64T 5202* से टकरा गया। इस वाहन को *माजन कला निवासी रामानुज शाह* चला रहा था। जानकारी के मुताबिक टक्कर इतनी भीषण थी कि डंपर क्रमांक *UP 64T 5202 की तेल टंकी फट गई और घर्षण से संतोष कुमार साह के डंपर डोर नं 132 में आग लग गई।* आग इतनी भीषण थी कि चालक संतोष कुमार शाह को संभलने का मौका ही नहीं मिला और वाहन में ही बुरी तरह जलकर उसकी मौत हो गई। घटना के बाद अधिकारियों के हाथ पांव फूल गए, जिसके बाद खदान के बचाव दल ने मौके पर पहुंचकर वाहन की आग बुझाई। इधर हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे *मोरवा निरीक्षक नरेंद्र सिंह रघुवंशी ने मर्ग क्रमांक 5/19 धारा 174 कायम कर संतोष कुमार शाह के शव को पोस्टमार्टम हेतु बैढन भिजवाया।* जहां उसका पीएम अभी किया जा रहा है। मौके पर लोगों का हुजूम लगा है। वहीं देर रात ही परिजनों के हंगामे के बाद मुआवजे के तौर पर *संविदा कंपनी ने 10 लाख की सहायता राशी मृतक के परिवार वालों को दी है।*
*एनसीएल की सुरक्षा नीति मात्र कागजों तक सीमित, आए दिन होते हैं हादसे*
यदि अतीत पर नजर डालें तो आए दिन एनसीएल की खदानों में हादसे पेश आते रहते हैं परंतु शायद एनसीएल प्रबंधन कुंभकरण की नींद में सोया है क्योंकि आए दिन हो रहे हादसे यह साफ दर्शाते हैं कि एनसीएल की सुरक्षा नीति मात्र कागजों तक सीमित रह गई है। यूं तो खदानों की सुरक्षा के लिए एनसीएल प्रबंधन प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का खर्च दर्शाता है परंतु धरातल पर स्थिति यह हैै कि श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर खदानों में कई वर्षों से *जीरो हार्म( शून्य दुर्घटना)* की स्थिति नहीं हुई है और आए दिन हो रहे हादसों से यह साफ जाहिर होता है प्रबंधन की लापरवाह रवैये से एनसीएल की ओपन कास्ट माइनिंंस में कंपनी प्रबंधन के श्रमिकों व आउटसोर्सिंग मजदूरों की जान को जोखिम बना हुआ है।