मधुपर/सोनभद्र(धीरज मिश्रा) ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उ0 माध्यमिक विद्यालय बहुअरा में सरदार बल्लभ भाई पटेल के जन्मदिवस पर फूल माला अर्पित कर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने बताया कि आजादी के बाद ज्यादातर प्रांतीय समितियां सरदार पटेल के पक्ष में थीं।
गांधी जी की इच्छा थी, इसलिए सरदार पटेल ने खुद को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से दूर रखा और जवाहर लाल नेहरू को समर्थन दिया। बाद में उन्हें उपप्रधानमंत्री और ग्रहमंत्री का पद सौंपा गया, जिसके बाद उनकी पहली प्राथमिकता देसी रियासतों को भारत में शामिल करना था। इस कार्य को उन्होंने बगैर किसी बड़े लड़ाई झगड़े के बखूबी किया। परंतु हैदराबाद के ऑपरेशन पोलो के लिए सेना भेजनी पड़ी। चूंकि भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था, इसलिए उन्हें भारत का लौह पुरूष कहा गया। 15 दिसंबर 1950 को उनकी मृत्यु हो गई और यह लौह पुरूष दुनिया को अलविदा कह गये । पर अपनी कार्यकुशलता के बल बुते आज भी सरदार बल्लभ भाई पटेल लोगों के दिलो में अमर है और रहेंगे भी । कार्यक्रम में विद्यालय प्रबन्धक हरिदास खत्री, भाजपा0 नेता महेंद्र पटेल, भाजपा0 मंडल महामंत्री सुनील पटेल,बूथ अध्यक्ष मनोज विश्वकर्मा,बूथ अध्यक्ष रामनिवास, गंगाराम ,अजीत मौर्या सहित दर्जनों कार्यकर्ता व आम जन उपष्टित रहे। भाजपा पूर्व मण्डल अध्यक्ष मधुपर महेंद्र पटेल ने सम्बोधन के दौरान बताया की सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म 31अ. 1975 को नाडियाद गुजरात के लेवा कृषक परिवार मे हुआ था । बहुत ही अभाव मे इनकी शिक्षा दिक्षा हुयी ईनके पिता झबेर भाई पटेल माता लाडवा देबी ये अपने चार भाईयो सबसे छोटे थे । ईनके भाई बिठ्ठल भाई भी आजादी के दिवाने थे सरदार पटेल जब वकालत कर रहे थे तभी से गांधी जी से प्रेरित होकर आजादी के दिवाने बन गये। बारडोली के आन्दोलन मे ईन्हे सरदार की उपाधी मिली आजाद भारत के गृह मंत्री व उप प्रधान मंत्री भी रहे । ईनके बिचारो मे भारत के एकी करण की बात खटक रही थी की मौका मिलते ही बिना सदीयो से बिखरे भारत के एकी करण का काम सुरू किये और बिना किसी लड़ाई झगड़े के 562 रियासतो का एकी करण कर ।। एक भारत श्रेठ भारत ।। का निर्माण कर दिखाया ।।
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