दुद्धी को नहीं बनने देगे आरएसएस की प्रयोगशाला-दिनकर कपूर
पंकज सिंह/रोहित सिंह@sncurjanchal
म्योरपुर के स्थानीय कस्बा स्थित बिड़ला विद्या मंदिर के प्रांगण में लोकतंत्र और वनाधिकार के लिए गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे आरएसएस का देश की न्यायापालिका में विश्वास नहीं है। इसीलिए संघ प्रमुख राम मंदिर के सवाल पर न्यायालय के आदेश का इंतजार नहीं कर पा रहे है और साबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का आरएसएस के लोग खुला उल्लंधन कर रहे है। आज तक आरएसएसएस के लोग आदिवासी को आदिवासी नहीं वनवासी कहते है क्योंकि आदिवासी कहते ही उनकी हिन्दुत्व की राजनीति के माड़ल पर खतरा पैदा हो जायेगा। इससे सावधान रहने की जरूरत है। यह बातें बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए पूर्व आई0 जी0 एसआ दारापुरी ने कही। सम्मेलन के मुख्य वक्ता दिनकर कपूर ने कहा कि वनाधिकार कानून में हाईकोर्ट से मिली जीत को जमीनीस्तर पर पहुंचाना है। संघ और भाजपा की सरकार इस कानून का लाभ तो देना नहीं चाहती उलटे आदिवासियों वनाश्रितों पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है, उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दुद्धी को आरएसएस कारपोरेट घरानों के लिए अपनी प्रयोगस्थली बना रहा है। गुण्ड़े लम्पट नेता बनाएं जा रहे है और आरएसएस से असहमति व्यक्त करने वालों का प्रशासन के बल पर उत्पीड़न कराया जा रहा है। इसलिए आरएसएस की राजनीति से सावधान रहने की जरूरत है किसी भी हालत में दुद्धी को इनकी राजनीति का प्रयोगस्थली नहीं बनने देना होगा। सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए मुरता के प्रधान व आदिवासी नेता डा0 चंद्रदेव गोंड़ ने कहा कि मात्र आदिवासी समाज की आवाज उठाने के कारण हमारा दमन हुआ पर हम किसी भी जुल्म से नहीं डरेंगें और अपने समाज की आवाज बुलंद करते रहेंगे। सभा का संचालन करते हुए कृपाशंकर पनिका ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व व अस्मिता की रक्षा के लिए नई राजनीति की जरूरत है। सम्मेलन में सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित रहें।
सम्मेलन को वर्कर्स फ्रंट के जिला संयोजक ओपी सिंह, समाजवादी नेता अनवर भाई, मंगरू प्रसाद श्याम, मनोहर गोंड़, इंद्रदेव खरवार, राम उजागिर गोंड़, जगदेव गोंड़, अकेश यादव, वीरेन्द्र यादव आदि लोगों ने सम्बोधित किया।
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