डाला/सोनभद्र(गिरीशचंद्र त्रिपाठी)-गुरमुरा सहित आस पड़ोस के क्षेत्रों से सटे जंगलों में व्यापक स्तर पर जारी है कोयले का खेल
वस्तुत: कोयलांचल व अन्य अवैध खनन के मौजूदा अर्थतंत्र के प्रतिफल हैं, ये माफिया गिरोह गुरमुरा सहित आसपास के इलाके में कोई भी ऐसा व्यवसाय नहीं है,
जिस पर माफिया गिरोहों का आधिपत्य न हो. ताकत और आतंक के बल पर ही जहां पैसे कमाना संभव है, वहां ऐसे गिरोहों का जनमना अपरिहार्य है. इन पेशों में कोई भी नया आदमी घुसने का साहस ही नहीं कर सकता. स्थानीय क्षेत्र में रोजगार आरंभ करने के लिए बुनियादी शर्त है, ऊंची पहुंच के साथ रसुखदार होना !कोयलांचल के विभन्नि धंधे कैसे माफिया गिरोहों के लिए दुधारू गाय हैं और किस तरह ये लोग इन पर काबिज हैं,इसकी मिशाल यहीं देखी जा सकती है कोयले के काले धंधे को छिपाने के लिए कोल व्यवसायी गुरमुरा हाइवे से महज दो सौ मीटर के अंतर्गत हीकुछ जगहों पर जंगलों में बेखौफ व्यापार कर रहे हैं !दिन के उजाले में ही कोयला लदी गाड़ियां वहां देखी जा सकती हैं पुरी जमीन ही कोयले की खदान प्रतीत होती है !
कुछ महीनों पुर्व ही कोयले की रंजीश को लेकर नकाबपोश असलहाधारीयों द्वारा उत्पात भी मचाया गया था जिससे स्थानीय लोग अभी भी भयाकुल हैं ! हालांकि समय समय पर पुलिस प्रशासन कार्रवाई कर अपनी मंशा जाहिर कर देती है। ताकि उनपर सवाल खड़ा न हो। लेकिन अवैध कारोबार पर कार्रवाई न होने से लोग अब इसपर कई तरह की चर्चाएं करने लगे हैं।
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