बहराइच दंगे सरकार के फेल होने का नतीजा : राघवेंद्र नारायण
सोनभद्र: देश भर में हर साल सांप्रदायिक दंगो में दर्जनों लोगों को जान गवानी पड़ती हैं। इसके अलावा व्यापक पैमाने पर संपत्ति का भी नुकसान होता हैं। अंग्रेजो से आजाद होने के बाद देश में कई बड़े दंगे हुए, जिनमे प्रमुख रूप से भागलपुर दंगा जो अक्टूबर 1989 को हुआ, इसमें मुख्य रूप से हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे। इसके कारण करीब 1000 से ज़्यादा निर्दोषों को अपनी जानें गंवानी पड़ी। मुंबई दंगा 1992 में हुआ, इस दंगे की मुख्य वजह बाबरी मस्जिद का विध्वंस था। जिनमें 900 लोग करीब मारे गए थे। गुजरात के गोधरा में हुए दंगे देश के इतिहास में हुए सबसे विभित्स दंगों में एक था। गोधरा कांड 2002 में हुआ था। 27 फ़रवरी 2002 को रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में भीड़ द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई। इसके परिणामस्वरूप पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए। इसमें करीब हजार लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी। मुज़फ़्फ़रनगर जिले के कवाल गांव में जाट-मुस्लिम हिंसा के साथ ये दंगा शुरू हुआ था, जिससे वहां 62 लोगों की जान गई थी। मणिपुर में 3 मई को अचानक भड़की हिंसा के बाद राज्य में करीब सैकड़ों लोग मारे गए। मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के लोगों में ख़ूनी संघर्ष चलता रहा और हालात तेज़ी से बेकाबू होते चले गए और राज्य में शांति बहाल करने के लिए सेना को उतारना पड़ा। आज भी मणिपुर जल रहा है पर किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही। दिल्ली, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब हरियाणा, उत्तराखंड राज्यों में भी दंगे हुए ये राज्य भी अछूते नहीं रहे। अभी कुछ दिनों पहले यूपी के बहराइच में रविवार (13 अक्टूबर) को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़कने पर 22 वर्षीय युवक राम गोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बहराइच जिले के महसी तहसील के रेहुआ मंसूर गांव के पास महाराजगंज इलाके में पथराव और गोलीबारी में लगभग आधा दर्जन लोग घायल हो गए थे। युवक की हत्या के बाद भड़की हिंसा के दौरान 50 से अधिक घरों, दुकानों, वाहन शोरूम और एक अस्पताल में तोड़फोड़ की गई। एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण ने कहा कि जब जब चुनाव के दिन नजदीक आते हैं वैसे ही राज्यों में दंगो व ध्रुवी कारण की राजनीति और दंगो की सियासत तेज हो जाती है।
हिंदू मुस्लिम समुदाय को एक दूसरे से लड़ा कर धर्म की सियासत करने का काम बीजेपी करती हैं। वोटों के खातिर ये किसी भी स्तर पर गिरने को तैयार हैं। गोरे अग्रेजों का काम अब काले अग्रेजों ने संभाल रखा है, आपस में फूट डालो राज करो । राघवेंद्र नारायण ने कहा कि इस तरह की हिंसा में अक्सर ब्राह्मणों को टारगेट किया जाता हैं। जो सरकार आज तक कमलेश तिवारी के हत्यारों को सजा नहीं दिला पाई वह गोपाल मिश्रा का क्या करेगी । ये घटना आगामी विधानसभा उप चुनाव और दो राज्यों में होने वाले चुनावों के लिए महज़ एक टूल है जो चुनाव ख़त्म होते ही ख़त्म हो जाएगा। पिसना आखिर जनता को है झेलेगी आखिर जनता ही। उन्होंने कहा कि बहराइच की घटनाएं ये साफ तौर पर इशारा करती है कि सूबे की सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है और वह फेल हो चुकी हैं। क़ानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। आगामी उप चुनाव में जनता इनको सबक जरुर सिखाएगी।