पुरुषोत्तम चतुर्वेदी
वाराणसी- शेल्बी सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स- गुरुग्राम के डॉ. अंकुर गर्ग – एच. पी. बी. सर्जरी एंड लिवर ट्रांसप्लांट विभाग के निर्देशक के द्वारा आज वाराणसी में आयोजित की गई । ओ. पी. डी. में बताया की हाल के आंकड़ों से जाहिर हो रहा है कि भारत में हर साल लगभग 20 प्रतिशत मौतें लीवर की बीमारी के कारण हो रही हैं। चिंताजनक बात यह है कि हमारे लगभग एक-चौथाई एडल्ट जनसंख्या या तो अधिक वजन वाले हैं या मोटापे से पीड़ित हैं, जिससे फैटी लीवर रोग का खतरा बढ़ता है। साथ ही, शराब का उपयोग
भी बढ़ रहा है, जिससे अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग के मामले में बढ़ोतरी हो रही है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर भारत में क्रोनिक लीवर रोगों का प्रमुख कारण बन चुका है, और इसे महामारी का स्तर पर पहुंच जाने का खतरा है। क्योंकि 3 में से 1* भारतीय अक्सर अस्वस्थ आदतों, सुस्त जीवनशैली, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल और शराब के सेवन के कारण फैटी लीवर के शिकार होते हैं। इस समस्या का सबसे बड़ा आंकड़ा यह है कि 90 प्रतिशत से अधिक रोगियों को पता नहीं है कि उनका लिवर प्रभावित है। यूपी राज्य में अपोष्टिक खाना संबंधी आदतों और जीवनशैली के कारण फैटी लीवर की समस्याएं बहुत अधिक हैं। आईसीएमआर के अनुसार, यूपी में करीब 10 प्रतिशत लोग लिवर की बीमारी से पीड़ित हैं। हाल ही में, वाराणसी के एक 46 वर्षीय व्यक्ति का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया, जो क्रोनिक लिवर रोग से पीड़ित था। उसे दिल्ली की एक 62 वर्षीय महिला के रूप में डोनर मिला था, जिसे ब्रेन हेमरेज हो गया था। रिकॉर्ड 40 मिनट में लिवर को दिल्ली से गुरुग्राम तक पहुंचाने के लिए 28 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। आज, मरीज वाराणसी में वापस आ गया है और अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जी रहा है।