हिंडाल्को से जुड़े निहाइपाथर मामले में तथ्यों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक तरफा प्रस्तुत करना न्याय संगत नही

अनपरा-सोनभद्र।सोमवार को हिंडाल्को से जुड़े निहाइपाथर वाले मामले में तथ्यों को तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक तरफा प्रस्तुत किया गया जो कि कही से भी न्यायसंगत नहीं है। खैर, नाम लिए बिना कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों से बातचीत में कुछ साक्ष्य सामने आए जो कि खबर के तथ्यात्मक पहलू को दर्शाते है। आप स्वयं पढ़ कर निर्णय कर सकते हैं। सबसे पहले एक बात ये जाननी जरूरी है कि कल को यदि कोई भी आपके घर में आकर रहने लग जाएगा तो आपका सबसे पहला कदम क्या होगा? मेरे ख्याल से आप सभी सबसे पहले उसे वहाँ से हटाने का प्रयास करेंगे। यही कंपनी ने भी किया। जिन्हें गरीब और लाचार बता कर मामले को भावनात्मक रुख दिया जा रहा है, यह बात एक बच्चा भी बता सकता है कि वो कोई गरीब असहाय न होकर पेशे से कबाड़ी हैं जो खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं और अक्सर जगह-जगह पर अपना तंबू लगा कर रहने लगे जाते है और अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
आखबार एवं वीडियो में पत्रकारों द्वारा उसे झोपड़ी तथा घर बताया जा रहा है जो कि पूर्ण रूप से निराधार है जिसे कंपनी ने हटाया है वह झोपड़ी न होकर साड़ी- कपड़े और लकड़ी का बना शेड था जो खानाबदोश लोग अपने रहने के लिए कुछ समय के लिए बनाते हैं अजर काम होते ही सब खुद से हटा कर निकल जाते हैं। इसे कंपनी ने हटाया गया जो कि हर तरह से वाजिब था।
दूसरी सबसे जरूरी बात की वो शेड कंपनी के अधिकार क्षेत्र में बना था जो कि कंपनी का रेड मड एरिया है। भावनाओं को जोड़ने के लिए मात्र गरीबी एक पैमाना नहीं हो सकती बल्कि कंपनी के सुरक्षा विभाग का दायित्व वहां ज्यादा बढ़ जाता है, जहां बात कॉलोनी परिसर में रह रहे कॉलोनीवासियों की सुरक्षा एवं प्लांट से संबंधित कीमती सामानों की सुरक्षा की आती है। लेकिन यहाँ पर सिक्योरिटी को ही नकारात्मक से रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है। बावजूद इसके कंपनी ने दया भाव दिखाते हुए नुकसान की भरपाई की मंशा से कुछ नगद दिया तो उसमें भी कुछ तथाकथित समाजसेवकों ने सस्ती लोकप्रियता लेने के लिए राजनीति शुरू कर दी वो भी वीडियो के बैकग्राउंड में गाना- बजाना लगा कर, जो कि बेहद अफसोसजनक है।

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