सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। साहित्य, कला, संस्कृति एवं पर्यटन के क्षेत्र में अनवरत रूप से कार्यरत जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज में अवस्थित विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के प्रधान कार्यालय पर ध्वजारोहण एवं विचार गोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित हुआ। ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने ध्वजारोहण के पश्चात अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-हमें आजादी की कीमत पहचाननी होगी, आजादी को हमारे पूर्वजों ने 75 वर्ष पहले अंग्रेजों से मोर्चा लेकर हासिल किया है। भारत देश के हर गांव, हर शहर में आजादी की लड़ाई को धार देने वाले देशभक्तो, क्रांतिकारियों का
इतिहास स्थानीय इतिहास के पन्नों में दर्ज है। देश के पत्रकारों, साहित्यकारों, लेखकों उत्तरदायित्व है कि स्थानीय इतिहास को समाज के सामने लाएं ताकि नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों के कारनामों पर गर्व हो सके। इतना ही नहीं अवसर मिलने पर सेमिनार, गोष्ठियों, शैक्षिक यात्राओं में भी इस इतिहास को दोहराकर युवाओं को जागृत करना चाहिए। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में साल भर तक आयोजित देशभक्ति पूर्ण कार्यक्रम तिरंगा यात्रा, गोष्टी सेमिनार आदि के आयोजन के माध्यम से नागरिकों में देश के स्वतंत्रता के प्रति जागृति जगाया है। राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान बनाए रखना चाहिए जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया था। सोन साहित्य संगम संयोजक एवं पत्रकार राकेश शरण मिश्रा अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-” स्थानीय इतिहास लोककथा, लोकगीतों में संग्रहित है और इस संग्रह की सहायता से स्थानीय इतिहास की रचना की जा सकती है इस कार्य के लिए हमारे पत्रकारो, साहित्यकारो इतिहासकारो को आगे आना चाहिए।
इस अवसर पर पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कृष्ण मुरारी गुप्ता, गायत्री परिवार के राजकुमार “तरुण’, गोविंद उमर, आदिवासी लोक कला केंद्र उत्तर प्रदेश की सचिव/साहित्यकार प्रतिभा देवी, सोन साहित्य संगम संयोजक राकेश शरण मिश्रा, संरक्षक सुशील “राही” दूधेश्वर महादेव मंदिर समिति के सचिव गोविंद केसरी, कवि अमरनाथ “अजेय”समाजसेवी धर्मवीर त्यागी, रिशु केसरी, ऋषभ केसरी सहितअन्य उपस्थित गणमान्य नागरिकों, युवाओं ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपना- अपना विचार व्यक्त किया कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन करके किया गया। ध्वजारोहण एवं विचार गोष्ठी में उपस्थित अतिथियों का आभार ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी ने व्यक्त किया।