अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीच कार्ययोजना पर हस्ताक्षर

वाराणसी से सुरभी चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इर्री) ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई.सी.ए.आर) के साथ अपनी साझेदारी को नवीनीकृत करते हुए अगले पाँच वर्षों के लिए अपने शोध और विकास गतिविधियों को मजबूत किया है। अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC), वाराणसी में एक पंचवर्षीय (2023-2027) कार्य योजना हस्ताक्षर समारोह का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में डॉ. जीन बैली, इर्री के महानिदेशक, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, डॉ. टी.आर. शर्मा, डी.डी.जी. (आई.सी.ए.आर), डॉ. राम कृष्णा श्रेष्ठा , संयुक्त सचिव, नेपाल ,डॉ. अजय कोहली, डी.डी.जी.(अनुसंधान), इर्री, ए.जे. पोंसिन, इर्री, डॉ. सुधांशु सिंह, निदेशक, इर्री, वाराणसी, डॉ. नेसे श्रीनिवासुलु, वरिष्ठ वैज्ञानिक सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।
पिछले दशकों से अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कई पहलुओं और कार्यक्रमों पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ काम करता रहा है। इस साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए, वर्तमान कार्ययोजना में प्रमुख नवाचारों और अनुसंधान जैसे धान की सीधी बिजाई प्रणाली, चावल की विभिन्न किस्मों की पोषण गुणवत्ता में वृद्धि और जलवायु समन्वय क्षमता प्रणाली के विकास को अपनाने के लिए प्रस्तावना की गई है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने कहा, “ भारत को एक समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि हमारे देश की कृषि समृद्धि की ओर बढ़े| एवं इस स्वप्न को साकार करने के लिए चावल की खेती को विकसित करना निहित आवश्यक है| इस कार्य-योजना के ज़रिये हमारा प्रयास रहेगा कि हम अनुसंधान के ज़रिये कृषि और किसानों के विकास के अपने साझा उद्देश्यों को पूरा करने में सदा तत्पर रहेंगे|”
देश में चावल अनुसंधान के लिए (आई.सी.ए.आर )और इर्री की प्राथमिकताओं के आधार पर 2023 से 2027 के लिए पारस्परिक सहयोग से पांच व्यापक क्षेत्रों की पहचान की गई है:
इर्री की “वन राइस ब्रीडिंग” रणनीति का उपयोग करके उच्च आनुवंशिक लाभ के साथ बाजार आधारित चावल की किस्मों को विकसित करने के लिए एक रूपरेखा बनाएगी
भारत के लिए धान की सीधी बिजाई प्रणाली को बढ़ावा देगी
गुणवत्ता युक्त चावल आधारित स्वास्थ्य और पोषण को प्रोत्साहन
जलवायु- समन्वय क्षमता (क्लाइमेट रेजिलिएंट) धान प्रणाली का विकास
एकीकृत क्षमता विकास पर काम
इस अवसर पर इर्री की महानिदेशक डॉ. जीन बैली ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् को उनकी सहभागिता हेतु धन्यवाद करते हुए कहा, “ इर्री एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् वर्ष 1965 से एकसाथ मिलकर अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में लगातार कार्य कर रहें हैं | इस वर्तमान कार्ययोजना, जो अपनी संरचना और लक्ष्यों में व्यापक है और भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है, उसमे OneCGIAR कायर्क्रम के चावल और संबद्ध अनुसंधान के सभी अवयवों को शामिल किया गया है किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने हेतु विकासशील कदम लिए जा सकें|”
इर्री के डॉ. अजय कोहली, डी.डी.जी. ( अनुसंधान) ने इस नवीनीकृत साझेदारी की चर्चा करते हुए कहा, “ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं इर्री के संयुक्त प्रयास के तहत अब तक कृषि अनुसंधान विशेषतः चावल आधारित खाद्य-प्रणाली के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किये गए हैं| इस आगामी पंचवर्षीय कार्ययोजना के अंतर्गत हमे पूर्व में किये गए कार्यों के किसानों के जीवन पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभावों एवं सफलता की कहानियों से जुड़ने का भी मौका मिलेगा। उन्होंने भरोसा जताते हुए कहा कि इर्री और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् आगे भी इस तरह संयुक्त प्रयास से अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर कार्यरत रहेंगे ”

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