वाराणसी 26 नवंबर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में शनिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट साइकियाट्री का 23वां चार दिवसीय से वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे दिन शनिवार को बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में देश-विदेश से आएमनोचिकित्सकों ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के बारे में विचार विमर्श किया कोलकाता से आए डॉक्टर भास्कर मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुवांशिक बीमारी में मानसिक रोगों का बहुत रोल होता है उन्होंने बताया है की वह व्यक्ति जिसके परिवार में किसी को मानसिक समस्या है उसका अपने से ज्यादा ध्यान देना चाहिए अमेरिका से आए डॉक्टर मां चेरी केशवन ने कहा कि लंबे समय तक स्वस्थ रहने के मानसिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है ऑस्ट्रेलिया के डॉक्टर रसल डिसूजा ने कार्य क्षेत्र में होने वाली मानसिक बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने बताया कि जीवन में कार्य और निजी जीवन में उचित समाज से होना चाहिए उन्होंने कहा कि मानसिक तकलीफों के कारण दिमाग में अलग रसायन का कम या ज्यादा होना इस पर निर्भर है उन्होंने कहा की नई बात है कि इस विषय में देश-विदेश में रिसर्च हो रहा है दिमाग को देखने के लिए आज हमारे पास m.r.i. के अलावा बहुत नए यंत्र हैं इसके द्वारा यह देखा गया है कि दिमाग के कई भागों में खून बहने की कमी से भी मानसिक संतुलन पर असर पड़ता है इन यंत्रों द्वारा आज हमारे पास मन को समझने में आसानी हुई है मानसिक बीमारी से पीड़ित मरीज अकेले इस पीड़ा से नहीं गुजरता है इसका असर उसके पूरे परिवार पर पड़ता है उनके धर्म पत्नी और बच्चों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि पूरा पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है मानसिक तकलीफ ओ की मात्रा दिन प्रतिदिन बढ़ रही है इसके कई कारण है उनमें से मुख्य कारण है भागदौड़ की जिंदगी मोबाइल की लत और इंसानों का एक दूसरे से आपसी बातचीत का ना होना क्योंकि आजकल सब कुछ फोन मोबाइल द्वारा व्यक्त हो जाता है इसके लिए जरूरी है कि अपने परिवार और दोस्तों में कुछ वक्त दें जिससे शरीर एवं मन को आराम मिले उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी से छुटकारा पाने के लिए हंसना रोज के जीवन का एकअंग होना चाहिए। इस अवसर पर डॉक्टर राजेश नागपाल डॉ अनु कांत मित्तल आदि लोग उपस्थित थे।अतिथियों का स्वागत देवा फाउंडेशन के निदेशक डॉक्टर गोपाल झवर एवं मोहनी झवर ने किया ।