श्रीराम कथा के प्रथम दिन सती चरित्र का वर्णन सुन भक्त हुए निहाल

भटपुरवा में चल रहा है नव दिवसीय श्रीरामचरित मानस यज्ञ वह श्रीराम कथा

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)। अष्ट सिद्ध संकट मोचन उत्तर मुखी बाल हनुमान भटपुरवा, भवानी गांव रेटीकला स्थित प्रांगण में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस यज्ञ एवं श्रीराम कथा के प्रथम दिन शनिवार को व्यासपीठ से बोलते हुए श्री श्री 1008 जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी छत्तीसगढ़ पीठाधीश्वर ब्रह्मदेवाचार्य जी महाराज ने सती चरित्र के माध्यम से बताया कि भगवान की कथा श्रवण करने के बाद परम सुख की प्राप्ति होती है एवं शांति मिलती है। इतना ही नहीं रामायण की कथा कायाकल्प और माया मुक्ति को प्रदान करती है। उन्होंने यह भी

कहा कि राम कथा के माध्यम से 84 में निवास करने वाले सभी जीवो का कल्याण होता है। इसलिए देवाधिदेव महादेव राम कथा श्रवण करने के लिए कैलाश से दक्षिण भारत में अगस्त ऋषि के आश्रम आए और माता सती के साथ महेश ने मन लगाकर कथा श्रवण किया तो उन्हें परमसुख मिला। वहीं माता सती ने मनसे कथा श्रवण नही किया तो परम दुःख की प्राप्ति हुई। ‘जनमत मरत दुसह दुःख होई’ जन्म और मरण दोनों में दूसह दुःख होता है इसलिए मरण का दुख सती को प्राप्त हुआ । श्रीरामचरितमानस कथा यही बताती है जो श्रवण करेगा राम कथा वह परम सुखी होगा और जो नहीं करेगा वह परम दुःखी होता है । गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे व आचार्य विद्वानों ने रामचरितमानस का पूजन एवं जगतगुरु का पूजन माल्यार्पण कर प्रथम दिवस की कथा का शुभारंभ कराया। इस अवसर पर दयाशंकर देव पांडेय, प्रभाशंकर चतुर्वेदी, राहुल सिंह, दुल्ले सिंह, दामोदर देव पांडेय, शंकराचार्य धर द्विवेदी सहित अन्यान्य भक्तगणों माताओ बहनो ने कथा का श्रवण किया ।

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