भोजपुरी फ़िल्म बिछिया में वैकुंठ के निर्माता विजय ठाकुर बने नायक

भोजपुरी भाषा और पहचान लौटाने की कोशिश में लगा है युवा कलाकार

रेनुकूट में रहता है परिवार ,यही से बढ़ाया फ़िल्म इंडस्ट्रीज में कदम

म्योरपुर/पंकज सिंह

म्योरपुर ब्लॉक के नगर पंचायत रेनुकूट से प्राथमिक पढ़ाई और यहां की संस्कृति और जीवन शैली के साथ भोजपुरी भाषा को साहित्य और फ़िल्म के जरिये पुरानी पहचान को मजबूत करने में प्रयास रत चांद्रायण फ़िल्म कंपनी के फिल्मी कलाकार विजय ठाकुर अंतराष्ट्रीय स्तर पर बैकुंठ के जरिये पहचान बनाने और शोहरत बटोरने के बाद अब भोजपुरी फ़िल्म बिछिया के जरिया भोजपुरी फ़िल्म को और मजबूत करने का प्रयास करने में लगे है। फ़िल्म के नायक विजय ठाकुर ने बताया कि हम लोग शूटिंग में बिजी है।हम चाहते है कि भोजपुरी भाषा फूहड़ता से मुक्त होकर नए स्वरूप में फिल्मों के जरिये समाज के सामने आए।जिससे लोग फूहड़ता से मुक्त होकर साफ सुथरी मनोरंजन का आनन्द ले।हम अन्य फिल्मों में जमीन से जुड़ी समस्याओं पर भी फ़िल्म बनाने पर काम कर रहे है।बताते चले कि प्रेमचन्द की कहानी पर आधारित बैकुंठ में विजय ने जहां कई देशों में भोजपुरी को नई पहचान दिलायी वही खुद की कलाकारी को भी निखारा है कहते हैं न कि किसी झूठ को अगर कुछ वक्त तक सच की तरह फैलाया जाए तो वो सच मान लिया जाता है ठीक वही हुआ इस देश की सबसे मीठी बोली भोजपुरी के साथ। आज के परिवेश में जब भोजपुरी को अश्लीलता का पर्याय मान लिया गया है तब इसी भोजपुरी को उसका उचित स्थान दिलाने के लिए कुछ लोग जी जान से लगे हुए हैं। इन्हीं में से एक नाम है विजय ठाकुर, एक ऐसा व्यक्तित्व जो भोजपुरी के लिए बहुत कुछ करना चाहता है और कर भी रहा है। जिसके जेहन में भोजपुरी की मिठास है तो दिल मे इसे सम्मान दिलाने का हौसला। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि बैकुंठ की सफलता के बाद भोजपुरी से जुड़े लोगों के फ़ोन आये और कुछ अच्छी कहानियों के साथ भोजपुरी सिनेमा बनाने का प्रस्ताव भी मिला। हालांकि उन्होंने बताया कि अतीत में हुए कुछ घटनाओं को याद करके भोजपुरी सिनेमा की तरफ जाने का मन नही था लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जिन्हें मना नही किया जा सकता। विजय ठाकुर अभी भोजपुरी की मशहूर अभिनेत्रि अंजना जी के साथ फ़िल्म बिछिया की शूटिंग में व्यस्त हैं। उन्होंने बताया की बिछिया भोजपुरी के माथे पर लगे हर कलंक को साफ करती नजर आएगी। उन्होंने बताया कि यह एक इमोशनल फैमिली ड्रामा है जिसमे परिवार के हर रिश्ते को बखूबी दिखाया गया है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य है कि भोजपुरी में बाहुबली जैसी सिनेमा बने। भोजपुरी में लोग बाहर से काम करने आयें। इसके लिए इसे अश्लीलता से मुक्त करना होगा इसके आँचल में लगे उस कलंक को धोना होगा। उन्होंने बताया कि बैकुंठ के बाद बिछिया का आना महज एक संयोग नहीं है। यह भोजपुरी में फैले अश्लीलता के खिलाफ बिगुल है और दर्शकों के साथ आने से इस लक्ष्य की तरफ हम और मजबूती से बढ़ेंगा।

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