हे दीनानाथ! सुन ला अरजिया हमार

  • व्रती महिलाओं ने दिया अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य, स्नान घाटों पर उमड़ा आस्था का सैलाब
  • जनपद के 188 घाटों पर हुई भगवान भास्कर की पूजा, सुरक्षा हेतु पुलिस के जवान रहे तैनात

सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- हे सूरज देव बिसव करी अरजि तोहारि, हे दीनानाथ सुन ला अरजिया हमार और कांचही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय आदि छठ मईया के गीतों से सोनांचल के नदी, तालाब एवं अन्य स्नान घाट बुधवार की शाम गुलजार रहे। हर जगह आस्था उमड़ी पड़ी थी। बाजे-गाजे के साथ व्रती महिलाएं अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य चढ़ाने को व्याकुल थीं। दिवस के अवसान के पूर्व ही व्रती महिलाएं कमर भर पानी में खड़ी हो गई थी। जैसे ही संध्या सुंदरी परी के समान अपने पांव बढ़ाने को उद्यत हुई एक साथ अस्त हो से भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया गया। कंधे पर सूप या दउरा लिए पूजन सामग्रियों संग लोग बाजे-गाजे के साथ स्नान घाटों की ओर सायं चार बजे से ही जाने लगे थे। छठ मईया के गीत गाती व्रती महिलाएं भाव विभोर मुद्रा दिखीं। अलग-अलग स्थानों पर श्रद्धालुओं का समूह निकला जो बाद में काफिले में बदल गया। तमाम श्रद्धालु नगर स्थित रामसागर सरोवर, बढौ़ली के तालाबों की ओर जा रहे थे तो बहुत से नगर के पूरब जोगिया वीर बाबा के पास परमतल्ला तालाब पर गए। शाहगंज राजवाहा नहर के घाटों पर भी भीड़ लगी रही। इसी तरह से नगर के आसपास के सरोवरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। कुछ व्रती महिलाएं घर से घाट तक जमीन पर लेट कर सफर को पूरा किया। घाट जाते समय आगे-आगे व्रतियों के परिजन नंगे पांव डलिया में पूजन सामग्री व ईख लिए जा रहे थे। इस अवसर पर आतिशबाजी भी हुई। अर्घ्य के बाद व्रती महिलाएं अपने-अपने वेदी पर गन्ने का मंडप बनाकर उसके मध्य देसी घी के जलते दीप को रखा। कहीं-कहीं व्रती महिलाएं रात भर जलाशय घाटों के किनारे पूजा स्थल पर ही रही। यहां उत्साही लोगों द्वारा टेंट, प्रकाश का प्रबंध किया गया है। जनपद के रावर्टसगंज, घोरावल, ओबरा एवं दुद्धी तहसील क्षेत्र के कुल 188 घाटों पर छठ की पूजा हुई। सभी जगह सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के जवान तैनात रहे।
हमारे स्थानीय कस्बा सहित विभिन्न गांवों में बुधवार को व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को जल में खड़े होकर अर्घ्य दिया। अम्ऊड, ढुटेर, खजुरी, सहुवार, जमगांव, बंधा, पठकागांव, सोतिल, धनावल, उदार, राजपुर, डाभा, लसड़ी, ईनम, दुरावल, बरसोत आदि गांवों के तालाबों पर बने घाटों पर व्रती महिलाओं ने पुत्र रत्न की प्राप्ति, सुहाग की रक्षा तथा कल्याण के लिए जल में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
छठ गीतों से गुलजार रहें घाट
कांचीही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय, छठ पूजे गंगा कररिया बहंगी लचकत जाय आदि छठ मईया के गीतों से घाट (पूजा स्थल) गुलजार रहे। अस्ताचलगामी भगवान भास्कर के अर्घ्य के समय घाट के तट पर बैठीं सामूहिक रूप से गा रही महिलाएं काफी उत्साहित नजर आ रही थी। मां की महिमा की इस गीत को सुनकर अन्य लोग भी अपने गीत गुनगुनाने से नहीं रोक पाए। बताया कि छठ ऐसा पर्व है जिसकी अनुभूति पूरा परिवार व आस-पड़ोस करता है। इस व्रत में सभी अपने-अपने स्तर से योगदान देते हैं। यही आज देखने को मिला‌। सभी उत्साह पूर्वक अपना सहयोग दिया।

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