सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- अगोरी-बड़हर के 19वें शासक राजा शंकर शाह की नौवीं पीढ़ी में पैदा हुए मोकरसिम के ख्यातिलब्ध ताल्लुक़ेदार और धर्मप्राण महाराज्ञी वेदशरण कुँवरि के शासनकाल में स्टेट मैनेजर रह चुके बाबू विजयेन्द्र बहादुर सिंह उपाख्य बाबू झुल्लुर सिंह के द्वितीय पुत्र बाबू गोपाल सिंह का वाराणसी में 94 वर्ष की आयु में कल निधन हो गया। 27 फ़रवरी, 1927 ई. को जन्मे बाबू गोपाल सिंह की शिक्षा-दीक्षा वाराणसी में ही हुई थी। तीक्ष्ण मेधासम्पन्न बाबू गोपाल सिंह का चयन प्रान्तीय प्रशासनिक सेवा में भी हो गया था, किन्तु उनके ज्येष्ठ भ्राता बाबू गोविन्द सिंह ने ‘नौकरी करना पारिवारिक प्रतिष्ठा के विपरीत है’ कहकर उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया था। बाबू विजयेन्द्र बहादुर सिंह की वाराणसी स्थित मोकरसिम कोठी में राय कृष्णदास, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पण्डित वाचस्पति पाठक, बाबू जगन्नाथ दास ‘रत्नाकर,’ पद्मभूषण डॉ. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’और पंडित सुधाकर पांडेय जैसे कालजयी साहित्यकारों एवं पण्डित कमलापति त्रिपाठी, श्याम लाल यादव जैसे अनेक बड़े राजनेताओं का नियमित आना-जाना लगा रहता था। इन्हीं विभूतियों की छत्रछाया में बाबू गोपाल सिंह का व्यक्तित्व विकसित हुआ। संप्रति सोनभद्र कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह के पिता बाबू गोपाल सिंह के अवसान से जहां एक युग का अन्त हो गया वही जिला कांग्रेस कमेटी से संबंध लोग शोकाकुल हो उठे हैं।
सोन साहित्य संगम के निदेशक एवं वरिष्ठ पत्रकार मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ने अपनी गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की है कि ऐसी महान आत्मा को अपनी दिव्य परिषद् में स्थान प्रदान करें और घर-परिवार के सदस्यों को इस अपार दुःख को सहने की शक्ति दें।