धर्म परेशान हो सकता है लेकिन परास्त नही जब-जब धर्म की हानि होती है तब तब प्रभू धर्म की रक्षा के लिए किसी ना किसी रूप में अवश्य आते हैं – शिवमूरत देव जी महाराज

धर्म डेस्क।जब-जब भी धरती पर आसुरी शक्ति हावी हुईं, परमात्मा ने धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना की। मथुरा में राजा कंस के अत्याचारों से व्यथित होकर धरती की करुण पुकार सुनकर नारायण ने कृष्ण रुप में देवकी के अष्टम पुत्र के रूप में जन्म लिया और धर्म और प्रजा की रक्षा कर कंस का अंत किया। यह बात टेंकर मझौली में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग सुनाते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवमूरत देव जी महाराज ने श्रद्धालुओं के बीच कही। कथा मझौली तहसील अंतर्गत टेंकर गांव में महेंद्र प्रसाद तिवारी सरोज तिवारी तेजा फाउंडेशन एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के घर मे आयोजित की जा रही है। जिसमे पावन सानिध्य आचार्य श्री भरोसे जी महाराज का प्राप्त हो रहा है। भागवत के विभिन्न प्रसंगों का वर्णन करते हुए चौथे दिवस पूज्य श्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा का वर्णन किया। इसके पूर्व महाराज श्री ने कहा कि जीवन में भागवत कथा सुनने का सौभाग्य मिलना बड़ा दुर्लभ है। जब भी हमें यह सुअवसर मिले, इसका सदुपयोग करना चाहिए। कथा सुनते हुए उसी के अनुसार कार्य करें। कथा का सुनन तभी सार्थक होगा। जब उसके बताए हुए मार्ग पर चलकर परमार्थ का काम करें।

उन्होंने रामकथा का संक्षिप्त में वर्णन करते हुए कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने धरती को राक्षसों से मुक्त करने के लिए अवतार धारण किया। कथा में कृष्ण जन्म का वर्णन होने पर समूचा पांडाल खुशी से झूम उठा। मौजूद श्रद्धालु भगवान कृष्ण के जय जयकार के साथ झूमकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई। कथा सुनने के लिये आसपास गांव से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं।

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