जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से घर की कौनसी दिशा मे क्या-२ होने से बढती है पोजिटीविटी,जाने वास्तु टिप्स…………

धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से घर की कौनसी दिशा मे क्या-२ होने से बढती है पोजिटीविटी,जाने वास्तु टिप्स…………

वास्तु में आठ दिशाएं बताई गई हैं, सभी दिशाओं का अलग-अलग महत्व बताया है। सभी दिशाओं के देवता भी अलग-अलग हैं। जानिए सभी आठ दिशाओं के बारे में…
पूर्व दिशा – ये दिशा अग्नि तत्व से संबंधित है। इस दिशा के स्वामी इंद्र हैं। ये दिशा सोने के लिए, पढ़ाई के लिए शुभ रहती है। घर में इस दिशा में एक खिड़की जरूर रखनी चाहिए। सूर्य की किरणों से घर में सकारात्मकता बनी रहती है।
पश्चिम दिशा – इस दिशा का संबंध वायु तत्व है। इसके देवता वरुण देवता हैं। पश्चिम दिशा में इस दिशा में रसोईघर बनाने से बचना चाहिए।

उत्तर दिशा – ये दिशा जल तत्व से संबंधित है। इस दिशा के देवता कुबेर देव है। इस दिशा में मंदिर रख सकते हैं। घर का मुख्य द्वार भी दिशा में रख सकते हैं।

दक्षिण दिशा – इस दिशा का तत्व पृथ्वी है। इसके देवता यम हैं। इस दिशा में भारी सामान रखा जा सकता है।

उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण – इस दिशा का तत्व जल है। इसके देवता रुद्र हैं। इस दिशा में बाथरूम नहीं होना चाहिए। यहां मंदिर बनवा सकते हैं।

उत्तर-पश्चिम दिशा यानी वायव्य कोण – ये वायु तत्व का कोण है। इसके देवता पवनदेव हैं। इस दिशा में बेडरूम बनवा सकते हैं। इस दिशा में गंदगी नहीं होना चाहिए।

दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण – इस दिशा में रसोईघर बहुत शुभ रहता है। ये स्थान अग्नि संबंधित है। इसका तत्व अग्नि और देवता अग्निदेव है।

दक्षिण-पश्चिम दिशा यानी नैऋत्य कोण – इस दिशा का तत्व पृथ्वी है। इसके स्वामी राहु हैं। कहीं-कहीं इस दिशा के देवता नैऋत्य भी बताए गए हैं। इस दिशा में भारी चीजें रख सकते हैं।

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