रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र) नगर में चल रहे श्री रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ में राम दरबार का श्रृंगार मन्नू पांडे, शुभम शुक्ला ने किया।
इसके पश्चात मंचासीन आचार्यों एवं भक्तों गणों ने दिव्य आरती उतारा और यजमान अजय शुक्ला, माधुरी शुक्ला द्वारा मंच पर रुद्राभिषेक भी किया गया।
तत्पश्चात परम पूज्य व्यास जी महाराज ने भूदेवो के साथ प्रारंभ कराया। आचार्य श्री सूर्य लाल मिस्र के आचार्यत्व में स्त्री मंडल सहित अन्य भक्तजनों ने मंच पर बैठकर सुंदरकांड का सास्वर पाठ किया।
इस अवसर पर महामंत्री सुशील पाठक, संयोजक शिशु पाठक ने पाठ करने वाली स्त्रियों को अंगवस्त्रम प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया, पाठ में शैल पाठक,मंजू त्रिपाठी, प्रतिभा देवी शीला जैन, निर्मला,सुचिता खेतान,सुनीता गुप्ता, विमला अग्रवाल, सुषमा शर्मा,शीला खंडेवाल, किरन केशरी, मंजू गर्ग, सुनीता गुप्ता, शीला जैन,कु तृप्ति अन्य स्त्रियों ने भाग लेकर सुंदरकांड का सस्वर पाठ किया। मानस पंडाल में उपस्थित भूदेव व व्यास जी को समाजसेवी/भाजपा नेत्री कोमल पाण्डेय के तरफ से कंबल वितरित किया गया।
मंच संचालक संतोष कुमार द्विवेदी ने कार्यक्रम मे उपस्थित ओम प्रकाश त्रिपाठी,धर्मवीर तिवारी, विंध्य संस्कृति शोध समिति ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी,रामचरितमानस नवाह पाठ महायज्ञ समिति के पूर्व अध्यक्ष रतन लाल गर्ग, मिडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी सहित अन्य भक्तजनों का मानस पाठ में सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
आज की कथा सुंदरकांड पर आधारित थी जिसमें हनुमानजी का लंका को प्रस्थान, सुरसा मान जी के बल बुद्धि की परीक्षा,छाया पकड़ने वाली राक्षसी का वर्णन, लंकिनी पर प्रहार, लंका में प्रवेश हनुमान विभीषण संवाद, हनुमान जी का अशोक वाटिका में सीता को देखकर दुखी होना और रावण का सीता कोभय दिखाना, सीता-हनुमान संवाद, हनुमान जी द्वारा अशोक वाटिका विध्वंस अक्षय कुमार का वध और मेघनाथ हनुमान जी को नागपाश में बांध कर सभा में ले जाना, हनुमान रावण संवाद, लंका दहन आदि महत्वपूर्ण दंगों पर प्रकाश डालते हुए कहा की- गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस में सुंदरकांड एक महत्वपूर्ण कांड है जहां पर सभी राम भक्तों की आस्था और विश्वास की झलक उनके कृत्यो से मिलती है, जिसमें राम भक्त हनुमान का प्रमुख स्थान है। जामवंत के कहने पर हनुमानजी को उन्हें अपना बल याद आया और वे हृदय में श्री रघुनाथ जी को धारण कर हर्षित होकर लंका की ओर प्रस्थान किए ।
श्री हनुमान जी की बुद्धि बल की परीक्षा लेने के लिए देवताओं ने सुरसा नामक सर्पों की माता को भेजा सुरसा की परीक्षा में सफल रहे। और उसने आशीर्वाद देते हुए कहा-
” *राम काजु सबु करहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आशीष देई गई सो हरसी चले वह हनुमान।
सुरसा के आशीर्वाद से हर्षित होकर हनुमानजी लंका की ओर प्रस्थान किये और लंका में अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हुए वे माता का दर्शन कर उनसे उनका संदेश चूड़ामणि लेकर समुद्र पार करके वापस आ गए।
रात्रि प्रवचन में गोरखपुर से पधारे हेमंत तिवारी ने भरत जी द्वारा चरण पादुका लेकर राज्य का संचालन, सीता हरण, जटायु उद्धार की कथा बड़े ही मार्मिक ढंग से सुनाया।