
सितम्बर माह के आंकड़े के मुताबिक यूपी के 38.5 फीसदी ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन्होंने बिजली का बिल कभी नहीं दिया सरकार क्यों न प्राइवेट को न दे ?
विधुत वितरण खण्ड पिपरी में नियमों को ताक पर रखकर लांखो के बिल हजारो में परिवर्तित कर करोड़ो रूपये की हेराफेरी का मामला मिल सकता है
सोनभद्र।बिजली बिल संशोधन के नाम पर विभाग के अधिकारियों द्वारा सरकार को करोड़ों की चपत लगाने तथा बिजली चोरी और बिल की वसूली न होने से पावर कारपोरेशन का वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा है।बताते चले कि पूर्वांचल विधुत वितरण निगम लिमटेड वाराणसी के अंतर्गत सोनभद्र जनपद में विधुत वितरण खण्ड पिपरी के माह अप्रैल 2020 से नवम्बर 2020 बिजली बिल संशोधन के आंकड़ो की जांच की जाय तो कमोवेश यह साफ दिखाई देगा विधुत वितरण खण्ड पिपरी में नियमों को ताक पर रखकर लांखो के बिल हजारो में परिवर्तित कर करोड़ो रूपये की हेराफेरी मिल सकती है।बिल सुधार के नाम पर विधुत वितरण खण्ड पिपरी के अधिकारियों एवं बाबुओ के मिली भगत से सैकड़ों उपभोक्ताओं से मोटी रकम वसूल कर अपनी जेबें भरते हुए लांखो का बिल हजारो में बदला गया।इतना ही विभाग के अधिकारी छोटे उपभोक्ताओं की विजली कनेक्शन काट देते है वही बड़े बकाये दारों से सुबिधा शुल्क लेकर नजरअंदाज किया जाता है।संविदा लाइनमैनों एवं अधिकारियों के संरक्षण अबैध कनेक्शन धारक फल फूल रहे है। नतीजा यह है कि पूर्वांचल डिस्कॉम के मिर्जापुर मण्डल में सितम्बर माह के आंकड़े के मुताबिक RAPDRP 81488 नॉन RAPDRP 617318 Never paid RAPDRP 14115 Never paid नॉन RAPDRP428866 एवं 1 लाख से अधिक बकाया 22198 लोंगों का है। सितम्बर माह के आंकड़े के मुताबिक यूपी के 38.5 फीसदी ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन्होंने बिजली का बिल कभी नहीं दिया।वही नौ लाख से अधिक उपभोक्ताओं का बकाया तो अब एक लाख रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है।उत्तर प्रदेश में बिजली के 2.83 करोड़ कनेक्शनों में से 38.5 फीसद यानी 1.09 करोड़ कनेक्शन ऐसे हैं, जिनसे बिजली कंपनियों को एक भी पैसे का बिल नहीं मिला है।यह जानकारी माह अक्टूबर 20 में यूपीपीसीएल (यूपी पावर कार्पोरेशन लिमिटेड) के चेयरमैन और अडिशनल चीफ सेक्रटरी (ऊर्जा) अरविंद कुमार ने कई ट्वीट्स के जरिए दी। इनमें उन्होंने बताया कि 2.83 करोड़ उपभोक्ताओं में से 1.09 करोड़ ने कभी भी अपना बिजली का बिल नहीं भरा। इनमें से भी 96 पर्सेंट ग्रामीण इलाकों से हें। यूपीपीसीएल सूत्रों का कहना है कि इन उपभोक्ताओं पर 68,000 करोड़ रुपयों का बकाया है।पूर्वांचल डिस्कॉम के हैं ज्यादातर डिफॉल्टर्स UPPCL के आंकड़ों के मुताबिक डिफॉल्टर्स में से करीब 43 लाख उपभोक्ता अकेले पूर्वांचल डिस्कॉम के हैं। यहां 3.78 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जिनपर विभाग का 1 लाख रुपये से ज्यादा का बकाया है। जानकारी के मुताबिक यही वजह है कि सरकार पूर्वांचल डिस्कॉम के निजीकरण के लिए कदम उठा रही है।

पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अभियान चलाकर ऐसे उपभोक्ताओं से बकाया वसूलने के निर्देश दिए हैं।
पूर्वांचल डिस्कॉम के सर्वाधिक 43 लाख विद्युत उपभोक्ताओं ने कनेक्शन मिलने के बाद से अब तक बिल नहीं जमा किया है।
पूर्वांचल डिस्कॉम के सर्वाधिक 43 लाख विद्युत उपभोक्ताओं ने कनेक्शन मिलने के बाद से अब तक बिल नहीं जमा किया है।यूपीपीसीएल सूत्रों का कहना है कि इन उपभोक्ताओं पर 68,000 करोड़ रुपयों का बकाया है।पूर्वांचल डिस्कॉम के हैं ज्यादातर डिफॉल्टर्स UPPCL के आंकड़ों के मुताबिक डिफॉल्टर्स में से करीब 43 लाख उपभोक्ता अकेले पूर्वांचल डिस्कॉम के हैं। यहां 3.78 लाख ऐसे उपभोक्ता हैं जिनपर विभाग का 1 लाख रुपये से ज्यादा का बकाया है। इसी तरह से मध्यांचल के 33.45 लाख, दक्षिणांचल के 22 लाख और पश्चिमांचल के 10.94 लाख कनेक्शन से डिस्काम को बिल्कुल राजस्व नहीं मिल रहा है। गौर करने की बात यह है कि बिल न देने वाले कुल उपभोक्ताओं में 1.05 करोड़ ग्रामीण क्षेत्र के हैं। 9.42 लाख उपभोक्ताओं का बकाया एक लाख रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है।
बिजली चोरी और बिल की वसूली न होने से पावर कारपोरेशन का वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा
यूपीपीसीएल के चैयरमैन ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए बताया कि करीब 1.09 बिजली उपभोक्ताओं ने कभी बिजली का बिल नहीं भरा। इनमें से 96 पर्सेंट ग्रामीण इलाकों से हैं। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष अरविन्द कुमार का कहना है कि सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को अभियान चलाकर राजस्व वसूली के निर्देश दिए गए हैं। अध्यक्ष का कहना है कि बिजली आपूर्ति के एवज में राजस्व वसूली न होने पर बिजली खरीदने में स्वाभाविक तौर पर दिक्कत आएगी। ऐसे में 24 घंटे बिजली आपूर्ति तब ही संभव है, जब सभी उपभोक्ता, उपभोग की गई बिजली का बिल समय से जमा करते रहें।
उल्लेखनीय है कि बिजली चोरी और बिल की वसूली न होने से पावर कारपोरेशन का वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि प्रबंधन, विद्युत वितरण को निजी हाथों में देना चाहता है। हालांकि, निजीकरण को टालने के लिए बिजलीकर्मियों द्वारा राजस्व वसूली सहित अन्य व्यवस्था सुधारने की बात कही जा रही है।हालांकि अभी भी विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई खास कार्यवाही नही नजर आ रही है।
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