जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से (जन्म पत्रिका में योनि) गुण एवं स्वभाव….

धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से (जन्म पत्रिका में योनि) गुण एवं स्वभाव….


इस संसार में जीवन धारियों की कुल 84 लाख योनियां हैं। मनुष्य योनि को इन सभी योनियों में कर्म प्रधान माना गया है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिस नक्षत्र में हमारा जन्म होता है उस नक्षत्र से संबंधित योनि के अनुसार हमारा स्वभाव, व्यवहार और व्यक्तित्व होता है।

इस संसार में जितने भी जीव हैं वह किसी ना किसी योनि से अवश्य ही संबंध रखते हैं। वैदिक ज्योतिष में भी इन योनियों के महत्व पर बल दिया गया है और इनका संबंध नक्षत्रों से जोड़ा गया है। योनियों के वर्गीकरण में अभिजीत सहित 28 नक्षत्रों को लिया गया है। तो इन 28 नक्षत्रों के हिसाब से ये योनियां चौदह हुईं, क्योंकि दो नक्षत्रों को एक योनि के अन्तर्गत रखा जाता है। तभी तो दो नक्षत्रों को मिलाकर देखा जाता है कि यह किस प्रकार की योनि बना रहे हैं और यह सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सही भी है या नहीं।

कुंडली मिलान में योनि मिलान क्यों?

ऐसा कहा जाता है कि सफल वैवाहिक जीवन के लिए स्त्री और पुरुष दोनों के नक्षत्र की योनि समान होनी चाहिए। इससे दोनों के आंतरिक गुण समान होने से आपसी मतभेद होने की संभावना कम रहती है, यानि कि एक सफल वैवाहिक जीवन इसी योनि के कारण बनता है।

14 प्रकार की योनियो की जानकारी

पहली सात

अश्व योनि – अश्विनी, शतभिष; गज योनि – भरणी, रेवती; मेष योनि – पुष्य, कृतिका; सर्प योनि – रोहिणी, मृ्गशिरा; श्वान योनि – मूल, आर्द्रा; मार्जार योनि – आश्लेषा, पुनर्वसु; मूषक योनि – मघा, पूर्वाफाल्गुनी।

शेष सात

गौ योनि – उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद; महिष योनि – स्वाती, हस्त; व्याघ्र योनि – विशाखा, चित्रा; मृग योनि – ज्येष्ठा, अनुराधा; वानर योनि – पूर्वाषाढ़ा, श्रवण; नकुल योनि – उत्तराषाढ़ा, अभिजीत; सिंह योनि – पूर्वाभाद्रपद, धनिष्ठा।

योनियों का संबंध क्या फल प्रदान करता है।

कुंडली शास्त्र के अनुसार योनियों का परस्पर संबंध पांच प्रकार से होता है। ये संबंध ही अपने मुताबिक वर-वधु के रिश्ते पर प्रभाव डालते हैं।

स्वभाव योनि

पहला है स्वभाव योनि, जिसका अर्थ है वर तथा कन्या की योनि एक है। यदि दोनों की योनि एक ही है तब विवाह को शुभ माना गया है।

मित्र योनि

वर-वधु की कुंडली को मिलाकर यदि मित्र योनि बने, तो ऐसा विवाह मधुर बनता है। ऐसे शादीशुदा जोड़े में आपसी समझ की अधिकता एवं प्यार काफी ज्यादा होता है।

उदासीन अथवा सम योनि

यदि लड़के तथा लड़की की कुण्डली में दोनों की योनियां परस्पर उदासीन स्वभाव की हैं तब वैवाहिक संबंध औसत ही रहते हैं। ऐसे विवाह में कोई ना कोई छोटी-मोटी परेशानी चलती ही रहती है जो रिश्ते पर सवाल खड़े कर देती है।

शत्रु योनि

यदि वर तथा कन्या की परस्पर योनियां मिलाने पर ये शत्रु स्वभाव की बनें, तो ऐसा विवाह नहीं करना चाहिए। यह विवाह कुंडली शास्त्र के अनुसार अशुभ माना जाता है, अंतत: इसे टालने में ही सबकी भलाई है।

महाशत्रु योनि

शत्रु योनि से भी बढ़कर महाशत्रु योनि है, यदि वर तथा कन्या कि योनियों में महाशत्रुता हो तो यह बेहद अशुभ विवाह बनता है। ना केवल इससे दाम्पत्य जीवन में वियोग तथा कष्टों का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही वर-वधु से जुड़े दो परिवार भी इस विवाह के अशुभ संकटों में फंसते चले जाते हैं।

वर-वधु की कुंडली का मिलान करते समय ज्योतिषी कई तरह की गलतियां कर जाते हैं। कई बार तो वे उन अहम बिंदुओं को परखना ही भूल जाते हैं जो भविष्य में वर-वधु के शादीशुदा जीवन की नींव बनने वाले हैं। या फिर यदि परखते भी हैं तो उस गहराई से नहीं, जितनी कि आवश्यकता होती है। इन्हीं कभी भी नजरअंदाज ना करने वाली चीजों में से एक है कुंडली का “योनि मिलान”। वर एवं वधु किस योनि से हैं एवं उन दोनों की योनि एक-दूसरे के लिए अनुकूल है या नहीं, इस बात को जान लेना बेहद महत्वपूर्ण है।

योनियों के अनुसार जातको के स्वभाव
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अश्व योनि 👉 स्वेच्छाचारी, साहसी, प्रभावशाली, ओजस्वी, दमदार आवाज इत्यादि

गज योनि 👉 बलवान, शक्तिशाली, उत्साही एवं सम्मानित लोगों से प्रतिष्ठित

गौ योनि👉 सदा उत्साहित और आशावादी, मेहनती, परिश्रम से पीछे न हटने वाले, बात करने में निपुण, स्त्रियों को विशेष रूप से प्रिय, कम आयु

सर्प योनी👉 अत्यंत क्रोधी स्वभाव, अनियंत्रित क्रोध, रूखा स्वभाव, दया और ममता की कमी, मन अस्थिर और चंचल, गम्भीरता से नहीं सोच पाना, खाने और व्यंजन के शौकीन, नुगरे

श्वान योनि👉 बहादुर और साहसी, उत्साही और जोश से परिपूर्ण, मेहनती और परिश्रमी, माता-पिता के सेवक, दूसरों के सहायक, भाई बंधुओं से छोटी-छोटी बात पर लड़ जाने वाले

मार्जार योनि👉 अत्यंत निडर, बहादुर और हिम्मत वाले, दूसरों के प्रति दुष्ट भाव रखना, समस्त कार्य करने में कुशल, मीठे के शौकिन

मेष योनि👉 पराक्रमी और महान योद्धा, मेहनती, धन-दौलत से परिपूर्ण ऐश्वर्यशाली, भोगी तथा दूसरों पर उपकार करने वाले

मूषक योनि 👉 काफी बुद्धिमान और चतुर, अपने काम में तत्पर और सजग, काफी सोच विचार कर और समझदारी से आगे बढने वाले, सदैव सचेत एवं आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करने वाले, काफि धनी

सिंह योनि👉 धर्मात्मा, स्वाभिमानी, नेक और सरल आचरण व व्यवहार, इरादों के पक्के, अत्यंत साहस और हिम्मत, कुटुम्ब का ख्याल रखने वाले

महिष योनि 👉 कम बुद्धि वाले, युद्ध में इन्हें सफलता, काम के प्रति बहुत अधिक उत्साही, कई संताने, वात रोगी

व्याघ्र योनि👉 सभी प्रकार के काम में कुशल, स्वतंत्र रूप से काम करने वाले, अपनी प्रशंसा स्वयं करने वाले

मृग योनि 👉 कोमल हृदय, नम्र और प्रेमपूर्ण व्यवहार, शान्त मन, सत विचार एवं सत्य वाचक, आस्थावान, स्वतंत्र विचारों के, लड़ाई-झगड़े दूर रहने वाले, भाई बंधुओं से प्रेम करने वाले

वानर योनि 👉 चंचल स्वभाव, युद्ध के लिये सदा तत्पर, काफी बहादुर और हिम्मत वाले, कामो उत्तेजक, धन व्यस्नी, संतान से सुखी

नकुल योनि 👉 के जातक हर काम में पारंगत एवं कुशलता पूर्वक करने में सक्षम, अत्यंत परोपकारी, विद्या के धनी, माता पिता के भक्त होते है।

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