धर्म डेक्स । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से पूजा-पाठ में दीपक क्यों जलाया जाता है ?
दीपक प्रकाश का प्रतीक है और सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। हिंदू धर्म में कोई भी कार्य किया जाए सबसे पहलें भगवान की अर्चना कर दीपक जलाने की परंपरा है। लेकिन यह क्यो जलाया जाता है। इस बात को बहुत ही कम लोग जानते है। हम किसी भी शुभ कार्य को करने जातें उससे पहलें घर के बडे लोग कहते है कि मंदिर में दीपक जरुर जाला देना। आपका काम शुभ होगा। इस बारें में जानें कितनी मान्यताए है। जो लोगों के मन में फैली हुई है। जानिए पूजा-पाठ में दीपक क्यों जलाया जाता है।
मान्यता है कि अग्नि देव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में किए काम जरूर सफल होते हैं। हमारे शरीर की रचना में सहायक पांच तत्वों में से अग्नि भी एक है। दूसरा अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। इसलिए किसी भी देवी- देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केंद्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्वलित किया जाता है। दीपक से हम ऊंचा उठने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। दीप ज्योति से पापों का क्षय होता है। शत्रुपक्ष शांत होता है। आयु, आरोग्य, पुण्य, सुख्ख्ख की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में कहा गया है दीपक सदैव विषम संख्या 1,3,5, 7 व 9 में जलाने चाहिएं। दीपक का और भी महत्व बटाया गया है कि प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। परमात्मा प्रकाश और ज्ञान रूप में ही सब जगह व्याप्त है। ज्ञान प्राप्त करने से अज्ञान रूपी मनोविकार दूर होते हैं और सासारिक शूल मिटते हैं। इसलिए प्रकाश की पूजा को ही परमात्मा की पूजा कहा गया है। मंदिर में आरती करते समय दीपक जलाने के पीछे उद्देश्य यही होता है कि प्रभु हमारा मन प्रकाश की ओर ले चलें। मौत से अमरता की ओर हमें ले चलें। दीपक के प्रकाश से सम्बंधित बातें ऋगवेद में भी मिलती है जो इसके माध्यम बताया गया है।
दीपक जलाने के धार्मिक कारण-
दीपक को ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक माना जाता है। दीपक को पूजा पाठ में विशेष महत्व दिया जाता है। विषम संख्या में आमतौर पर दीपक जलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूजन के समय हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार दीपक जलाना अनिवार्य माना गया है। घी के दीपक से आरती करने पर घर में सुख समृद्धि आती है। घी के दीपक से आरती करने से घर में लक्ष्मी जी का स्थाई रूप से निवास होता है।
दीपक जलाने के वैज्ञानिक कारण-
सकारात्मकता का प्रतीक दीपक को माना जाता है एवं दीपक प्रज्वलित करने से दरिद्रता दूर होती है। गाय के दूध से बनाये गये घी में रोगाणुओं को दूर करने की क्षमता अधिक मात्रा में होती है। यह गाय का घी जब भी दीपक में अग्नि के संपर्क से पूरे वातावरण को पवित्र बना देता है एवं प्रदूषण को दूर करता है।