वाराणसी से पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की खास रिपोर्ट

वाराणसी। आज से श्रावण माह की शुरुआत हो रही है। कहते हैं यह देवों के देव महादेव का महीना होता है। इस महीने में भगवान शंकर खुश रहते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं। भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक वाराणसी में भी स्थित है। सावन माह में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और बाबा को जल चढ़ा कर प्रसन्न करते हैं। इस समय पूरी काशी बम बम बोल रहा है के नारों से गूंज उठती है, लेकिन यह समय विपरीत है। कोरोना ने जिस तरह से महामारी का रूप लिया उसके बाद बाबा के दर्शन का स्वरूप भी बदल गया है। इस बार श्रावण मास के पहले सोमवार को मंदिर सुना पड़ा है। इसके साथ ही संक्रमण के डर से भक्तों में दूरियां भी बन गई है। वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का परिसर हर साल से कुछ अलग दिखा। यहां ना तो इतनी संख्या में भक्त दिखे और ना ही वह उल्लास।
सावन माह के पहले दिन से ही बाबा के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी लाइन लगी रहती थी। पहले दिन से ही देर रात ही भक्त दशाश्वमेध घाट पहुंच जाते थे और वहां से गंगाजल लेकर कतार में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते थे। लेकिन इस बार यह नजारा देखने को नहीं मिल रहा है। इस बार भक्तों की कतार के साथ हर हर महादेव के नारों की गूंज सुनाई नहीं दे रही है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने पहले ही कावड़ यात्रा पर रोक लगा थी। इसके बाद वाराणसी जिला प्रशासन ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए भक्तों के लिए अलग तारा की व्यवस्था की है। श्रद्धालु इस बार लाइन में खड़े होकर 2 गज की दूरी का पालन कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर गोले बनाकर दूरी को निर्धारित किया है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में घुसने से पहले सैनिटाइज होना भी जरूरी है, उसके लिए सैनिटाइजर फनल लगे हैं। मंदिर के घर फ्री में प्रवेश के लिए किसी को भी अनुमति नहीं है सभी श्रद्धालुओं को झांकी दर्शन ही मिलेंगे।
कोरोना के संकट काल में बाबा के दर्शन का स्वरूप तो बदला ही है। श्रद्धालुओं की कमी को देखते हुए इस बार व्यापारियों में आर्थिक नुकसान की भी आशंका ज्यादा है। सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होने के कारण फूल माला प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों की भी आय बढ़ जाया करती थी। लेकिन इस बार समय ने ऐसी करवट ली कि व्यापारियों को नुकसान होना लगभग तय है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की है। हालांकि इस बार पहले की तरह श्रद्धालु नजर नहीं आ रहे हैं। लेकिन फिर भी प्रशासन ऐतिहासिक तौर पर व्यवस्था में लगा है।

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