सीबीएसई ने कोविड-19 के कारण 1 जुलाई से 15 जुलाई, 2020 तक कक्षा X और XII की होने वाली परीक्षाएं रद्द कर दीं

दसवीं और बारहवीं दोनों कक्षा के लिए सीबीएसई की समिति द्वारा सुझाई गई आकलन योजना के अनुसार रद्द की गई परीक्षाओं का मूल्यांकन

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने छात्रों की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रति आभार जताया

मूल्यांकन योजना के आधार पर परिणाम 15 जुलाई, 2020 तक घोषित किए जाएंगे- श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

दिल्ली।सीबीएसई ने विभिन्न राज्य सरकारों से प्राप्त अनुरोधों और आज की तारीख में कोविड-19 के कारण मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है, जो 1 जुलाई से 15 जुलाई, 2020 तक आयोजित होने वाली थी। आज सर्वोच्च न्यायालय ने परिक्षा रद्द करने के सीबीएसई के प्रस्ताव और दसवीं तथा बारहवीं के छात्रों के अंतिम प्रदर्शन का आकलन करने की योजना पर सहमति जताई है।

केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने पहली जुलाई से 15 जुलाई, 2020 तक बारहवीं कक्षा की सीबीएसई परीक्षा आयोजित नहीं करने और छात्रों की सुरक्षा चिंताओं को प्राथमिकता देने के सीबीएसई के प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दसवीं और बारहवीं दोनों कक्षाओं के परीक्षा परिणाम की घोषणा के लिए सीबीएसई की सक्षम समिति द्वारा सुझाई गए मूल्यांकन योजना के आधार पर रद्द की गई परीक्षा में छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।

रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि माहौल में सुधार होते ही सीबीएसई कक्षा बारहवीं के छात्रों के लिए उन विषयों में एक वैकल्पिक परीक्षा आयोजित करेगा, जिनके लिए परीक्षा पहली जुलाई से 15 जुलाई, 2020 तक आयोजित की जानी थी। उन्होंने बताया कि जिन उम्मीदवारों के परिणाम मूल्यांकन योजना के आधार पर घोषित किए जाएंगे उन्हें, यदि वे चाहें तो, अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिए इन वैकल्पिक परीक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति दी जाएगी। श्री निशंक ने कहा कि दसवीं कक्षा के छात्रों के लिए आगे कोई परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी और मूल्यांकन योजना के आधार पर सीबीएसई द्वारा घोषित परिणाम को अंतिम माना जाएगा।

केंद्रीय मंत्री श्री निशंक ने कहा कि मूल्यांकन योजना के आधार पर नतीजे 15 जुलाई, 2020 तक घोषित किए जाएंगे, ताकि छात्र उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आवेदन कर सकें। उन्होंने कहा कि हमने इस योजना को सर्वोच्च न्यायालय के सामने प्रस्तावित किया क्योंकि छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षकों का स्वास्थ्य हमारी प्रमुख चिंता है।

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