लद्दाख।लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के कम से कम 20 जवान शहीद हो गए हैं। जबकि चीन को भी भारी नुकसान हुआ है। चीन के 43 सैनिक हताहत हुए हैं। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सेना ने बयान में कहा कि जान गंवाने वाले 20 में से 17 सैनिक गतिरोध वाले स्थान पर, शून्य से नीचे तापमान में ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
सूत्रों के अनुसार, LAC के पास चीनी हेलिकॉप्टरों का आना जाना बढ़ गया है। गलवान घाटी में भारत के साथ हुई हिंसक झड़प में भारी संख्या में चीनी सिपाही भी हताहत हुए हैं और हेलिकॉप्टरों की मदद से उन्हें ले जाया जा रहा है।
बता दें कि सोमवार की रात लद्दाख क्षेत्र की गलवान घाटी में चीन और भारत की सेना के बीच संघर्ष हुआ था। पहले कहा गया था कि तीन लोग शहीद हुए थे। पिछले 45 वर्षों में इस तरह की यह पहली घटना है और यह संवेदनशील क्षेत्र में पिछले पांच हफ्ते से चल रहे व्यापक तनाव का संकेत देती है।
शुरुआत में कर्नल समेत तीन जवानों के शहीद होने की खबरें आई थीं। लद्दाख इलाके में यह 1962 के बाद पहला ऐसा मौका है जब सैनिक शहीद हुए हैं। मामले को लेकर दिन भर उच्च स्तरीय बैठक का दौर जारी रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सैन्य प्रमुखों और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत से मुलाकात के बाद पीएम मोदी को मामले की जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में हालात पर विचार-विमर्श करने के लिए मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लगातार दो बैठकें की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह से मुलाकात की।
बताया जा रहा है कि पूर्वी लद्दाख के गालवान घाटी में दोनों सेनाओं की ओर से रात में पीछे हटने की प्रक्रिया जारी थी लेकिन अचानक चीनी सैनिकों की ओर से हरकत की गई है, जिसमें भारतीय सैनिक शहीद हो गए हैं। वहीं चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि भारत अगर एकतरफा कदम उठाएगा तो इस तरह की दिक्कतें सामने आएंगी। चीन का आरोप है कि भारतीय सैनिक उसकी सेना में घुस आए थे।
मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय का भी बयान आया। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि यथास्थिति बदलने की चीन की एकतरफा कोशिश की वजह से हिंसक झड़प हुई है। विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि नुकसान को टाला जा सकता था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि तनाव घटाने के लिए बातचीत हो रही है. झड़प से दोनों पक्षों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि चीन ने आपसी सहमति का सम्मान नहीं किया. हम शांति को प्रतिबद्ध हैं, लेकिन संप्रभुता बनाए रखेंगे।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता तो दोनों पक्षों की ओर जो हताहत हुए हैं उनेसे बचा जा सकता था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘सीमा प्रबंधन पर जिम्मेदाराना दृष्टिकोण जाहिर करते हुए भारत का स्पष्ट तौर पर मानना है कि हमारी सारी गतिविधियां हमेशा एलएसी (LAC) के भारतीय हिस्से की तरफ हुई हैं. हम चीन से भी ऐसी ही उम्मीद करते हैं।’ अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमारा अटूट विश्वास है कि सीमाई इलाके में शांति बनाए रखने की जरूरत है और वार्ता के जरिए मतभेद दूर होने चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’साभार दैनिक सवेरा।