जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मांद्य चंद्रग्रहण 5 जून विशेष….

धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मांद्य चंद्रग्रहण 5 जून विशेष….

इसका किसी भी प्रकार का यम-नियम-सूतक आदि मान्य नही होगा।



चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। उपच्छाया चंद्रग्रहण की बात की जाए तो यह तब लगता है जब पृथ्वी की परिक्रमा करने के दौरान चंद्रमा पेनुम्ब्रा से हो कर गुजरता है। पेनुम्ब्रा धरती की परछाई के हल्के से भाग को बोला जाता है।

हिन्दु धर्म में चंद्र ग्रहण एक धार्मिक घटना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. जो चन्द्रग्रहण नग्न आँखों से नहीं दिखता उसका धार्मिक महत्व नहीं होता है। सिर्फ उपच्छाया वाले चंद्र ग्रहण ही नगन आंखों से नहीं दिखते हैं इसलिए उनका पंचांग में कोई महत्व नहीं है। पंचांग में केवल प्रच्छाया वाले चंद्र ग्रहण का महत्व होता है क्योंकि वह नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

यदि चंद्र ग्रहण आपके शहर में दर्शनीय नहीं हो परन्तु दूसरे देशों अथवा शहरों में दर्शनीय हो तो कोई भी ग्रहण से सम्बन्धित कर्मकाण्ड नहीं किया जाता है। लेकिन यदि मौसम की वजह से चंद्र ग्रहण दर्शनीय न हो तो ऐसी स्थिति में चंद्र ग्रहण के सूतक का अनुसरण किया जाता है और ग्रहण से सम्बन्धित सभी सावधानियों का पालन किया जाता है।

ज्येष्ठ शुल्क पक्ष शुक्रवार ता० 5/6/2020 पूर्णिमा के दिन मांद्य चंद्र ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण का स्पर्श रात्रि 11 बजकर 16 मिनट पर, मध्य रात्रि 12 बजकर 55 मिनट पर और मोक्ष रात्रि 2 बजकर 35 मिनट पर होगा। यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, ग्रीनलैंड, दक्षिण अमेरिका का पश्चिमी भाग, राशिया का पूर्वोत्तर भाग आदि को छोड़कर शेष सम्पूर्ण विश्व मे दृश्य होगा। परंतु ऊपर बताए नियम अनुसार इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्त्व नही है। इसलिये इसका किसी भी प्रकार का यम-नियम-सूतक आदि मान्य नही होगा। नाही इस ग्रहण का किसी व्यक्ति विशेष के जीवन एवं राशियों पर कोई शुभाशुभ परिणाम मिलेगा।

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