जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से बेल का रस पीने के फायदे…..

स्वास्थ्य डेस्क । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से बेल का रस पीने के फायदे…..



गर्मियां आते ही हर गली-नुक्कड़, चौराहे पर बेल का शर्बत, बेल जूस आदि की रेड़ियां और दुकानें मिल जाती हैं। वजह साफ है औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसे प्राचीन काल से ही लोग पसंद करते आ रहे हैं। सस्ता, सुपाच्य और औषधीय होने के कारण बेल शरीर के लिए अमृत के समान है

कब्ज, गैस, एसीडिसी, अपच समेत पेट की हर बीमारी के लिए रामबाण। रोजाना एक गिलास बेल जूस के सेवन से बवासीर तक की समस्या दूर हो जाती है। नसों को आराम मिलता है

गर्मियों में डायरिया और पेचिस की शिकायत अक्सर हो जाती है। बेल जूस से बहुत जल्दी कवर होते है ये रोग। आहारनाल के छाले और पेट के अल्सर तक बेल जूस के सेवन से ठीक होने लगते हैं

स्वास संबंधी बीमारियों में बेल के सेवन से आराम मिलता है। जिन्हें मधुमेह यानी डायबिटीज की शिकायत है वे लोग भी बेल खा और पी सकते हैं। ध्यान रहे उसमें चीनी न मिलाएं। आराम मिलेगा

सभी रोगों के इलाज में रामबाण

शरीर की अनावश्यक चर्बी, मसलन कॉलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। शरीर सही शेप में लाता है

शरीर में सूजन है, या गर्मी ज्यादा लगती है। आंखों में जलन सी लगती है, बेचेनी, थकान जैसी समस्याओं को बेल का जूस दूर करता है

बिटामिन सी की कमी से होने वाली स्कर्वी रोग में भी बेल से फायदा मिलता है

विटामिन ए, सी, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, फॉसफोरस, नियासिन, रिबोफ्लेविन, थियामिन, कार्बोहाइड्रेट आदी की संतुलित मात्रा होती है। जिससे कि इसे हर उम्र और हर मर्ज के लिए इसका सेवन कर सकते हैं। ये वसा रहित होता है। 100 ग्राम में मात्र .3 ग्राम वसा होती है जो कि न के बराबर है

ये बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है। आंख-कान की समस्याओं, बुखार, गठिया समेत तमाम बीमारियों में बेल के सेवन से लाभ मिलता है। यहां तक की कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए बेल कारगर है

कैंसर से लेकर सांप के जहर तक से लड़ता है बेल

प्राचीन ग्रंथों में यहां तक मिलता है कि बेल के पत्तियों के रस से सांप के जहर को भी काटा जा सकता है

प्राचीन यजुर्वेद में बेल का औषधीय गुणों का वर्णन है। बेल को वैदिक काल से लोग अपने कई प्रकार से इस्तेमाल करते आ रहैं। बेल के पेड़ की पत्तियों को हिंदु अपने आराध्य भोले नाथ को अर्पण करते हैं। बेल जूस के अलावा, इसका मुरब्बा भी बनता है। पके हुए बेल को ऐसे भी खाया जा सकता है

बेल का उद्गम भारत ही है। लेकिन आज दुनिया के कई देशों में बेल की शीतलता लोगों को पसंद आती है। अलग-अलग जगहों पर लोग इसे अलग-अलग नामों से पुकारते हैं। इसे बंगाल क्विंस, गोल्डन एप्पल, जापनीज बिटर ऑरेंज, स्टोन एप्पल, वुड एप्पल आदी नामों से भी लोग जानते हैं। भारत के ज्यादातर इलाकों में इसे बेल पत्थर कहते हैं

भारत के अलावा, पाकिस्तान, श्रीलंका, वर्मा, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और थाईलैंड तक में बेल पाया जाता है

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