स्वास्थ्य डेस्क। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से पीलिया के प्रकार और उपचार…..
दोस्तों पिछले दो माह से मैंने सबसे ज्यादा केसेस अगर देखे है तो वह है पीलिया के। यह बीमारी शरीर पे धीरे धीरे अपना कब्ज़ा जमाती है। हमारे शरीर में रक्त के लाल कण अगर कम हो जाते है तो पीलिया हो जाता है। हमारे रक्त में बिलीरुबिन नाम का एक पिला पदार्थ होता है जो लाल कणो के नष्ट होने पर निकलता है तो शरीर में पीलापन आने लगता है। दूसरा कारन यह है की हमारा जिगर ठीक से कार्य नहीं करता एक यह भी पीलिया होने का संकेत है। कुछ दिनों तक जी मिचलाता है, शरीर सुस्त बेजान सा लगता है, आँखे और त्वचा जैसे नाख़ून पिले हो जाते है, बुखार रहता है, पेशाब पिला और मल बदबूदार होता है।
पीलिया के रोग प्रकार
वातज : इस पीलिया में आँखे और पेशाब में रुक्षता, कालापन तथा लाली दिखाई देती है, शरीर में सुई चुभने जैसी पीड़ा तथा कम्प, भ्रम के लक्षण दिखाई देते है।
पित्तज : इस पीलिया में मलमूत्र और आँखों का रंग पिला हो जाता है। शरीर की कांति भी पिली हो जाती है। मल पतला होता है एवं जलन, प्यास और बुखार के लक्षण भी दिखाई पड़ते है।
कफज : इस पीलिया में रोगी के मुख से कफ गिरता है, आलस्य, शरीर में भारीपन, सूजन और आँख, मुंह, त्वचा एवं पेशाब में सफेदी के लक्षण दिखते है।
सन्निपतज : इस पीलिया में ऊपर के तीनो लक्षण दिखाई देते है और यह अत्यन्त कष्टदायक भी होता है। नाभि, मुंह और पाँव सूज जाते है। पेट के कीड़े, कफ तथा रकयुक्त मल निकलता है। आँखों पे, गालो पे और भोवो पे सूजन आती है।
क्यों होता है पीलिया?
खटाई, गर्म चटपटे और पित्त बढ़ाने वाले पदार्थ अधिक खाना, शराब अधिक पीना, दिन में ज्यादा सोना, खून की कमी तथा संक्रमण के कारन, खट्टे पदार्थो का अधिक सेवन, वात, कफ और पित्त कुपित होने से भी पीलिया होता है।
भोजन तथा परहेज
आराम करना, फलाहार, रसाहार, जूस का सेवन, चोकर के साथ आटे की रोटी, पुराने चावल, निम्बू पानी, ताजे एवं पके फल, अंजीर, किशमिश, गन्ने का रस, जौ चना का सत्तू, छाछ, मूंग की दाल, बैगन की सब्जी, मूली, खीरा आदि खाना चाहिए।
पेट भर खाना, मैदे से बने पदार्थ, खटाई, उड़द की दाल, ठन्डे पानी से नहाना, लालमिर्च, मसाले, ताली हुयी चीजे, घी, मछली, मांस आदि से दुर रहे और रोगी को पूर्ण रूप से आराम करने दे तथा मानसिक कष्ट ना हो इस बात का ध्यान रखे।
आयुर्वेद से उपचार
3 चम्मच नीम के ताजे पत्तो का रस, आधा चम्मच सोंठ का पावडर और 4 चम्मच शहद इन सब को साथ में मिलाकर सुबह खली पेट 5 दिन तक लेने से कैसा भी पीलिया हो ठीक हो जाता है है।
गिलोय का 5 ग्राम चूर्ण शहद में मिलाकर देने से पीलिया रोग मीट जाता है। अगर गिलोय ना हो तो कालीमिर्च या त्रिफला का चूर्ण भी आप रोगी को दे सकते है।
100 ग्राम बड़ी हरड़ के छिलके और 100 ग्राम मिश्री को मिलकर चूर्ण बनकर 6-6 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम खाली पेट ताजे पानी के साथ खाने से पीलिया रोग मीट जाता है।
20 मिली तजा निम्बू का रस सुबह शाम रोगी को पिलाने से और 2-3 बुँदे आँखों में डालने से पीलिया रोग जड़ से खत्म हो जाता है।
पुनर्नवा की जड़ को साफ करके छोटे छोटे टुकड़े काटकर गले में 21 टुकड़ो की माला बनाकर रोगी के गले में पहना दे और जब पीलिया का प्रकोप चला उतर जाये तब माला को उतार कर किसी पेड़ पे लटका कर रख दे।
मूली में विटामिन सी, लोह, कैल्सियम, सोडियम, म्याग्नेसियम और क्लोरीन आदि खनिज होते है जो जिगर की क्रिया को ठीक करते है इसलिए पीलिया के रोगी को 100 मिली मूली के रस को गुड मिलाकर दिन में 3-4 बार देने से बहोत लाभ मिलाता है।
4 कलि लसुन को पीसकर आधा कप गर्म दूध में मिलाकर पिने से ऊपर से दूध पि ले। यह प्रयोग 4 दिन तक करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
नोट : यह बीमारी साधारण बीमारी नहीं है। आप इसे जितना नजरअंदाज करोगे उतना ये आप के लिए घातक होगा। इस का जल्द से जल्द इलाज करे और रोगी को इस बीमारी से बचाए।