धर्म डेक्स। जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से व्यवसाय में आने वाली बाधाएं दूर करने के उपाय……
जैसा कि हम जानते है कोई भी व्यवसाय बिना किसी बाधा के चल नहीं सकता। कई बार इन बाधाओं का स्वरूप सामान्य ही रहता है लेकिन कई बार यह बहुत बड़ा रूप धारण कर लेता है। जो जातक को भारी हानि तथा अनेक समस्याएं दे जाता है। इसलिए कोई भी जातक यह प्रार्थना अवश्य करता है कि उसके व्यवसाय में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए इसके उपरांत भी यदि आपको अनुभव होता है कि आपके व्यवसाय में अचानक ही बाधाएं आने लगी है तो उन बाधाओं को समाप्त करने के लिए आप निम्न उपायों में से कोई भी उपाय कर लाभान्वित हो सकते हैं। यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही सरल उपाय बता रहे हैं जिनको करने से आपका व्यवसाय पहले वाली गति से भी तीव्र गति से चलने लगेगा।
1👉 किसी भी माह के प्रथम शनिवार को मिट्टी की मटकी को ढक्कन सहित खरीदें तथा व्यवसाय स्थल के नैऋत्य कोण में जाकर मटकी में 100 ग्राम काले तिल, इतनी ही पीली सरसों, एक लकड़ी के कोयले का टुकड़ा, एक बड़ी लोहे की कील तथा कुछ दाने काले उड़द के डालकर ढक्कन लगाकर नीले कपड़े से मटकी का मुंह बंद कर दें। मटकी को उसी स्थान पर ही रखा रहने दें अब जिस दिनांक को आपने मटकी रखी है उससे अगले माह की उस दिनांक के बाद जो भी बुधवार आए उस दिन आप मटकी को ले जाकर किसी तीव्र प्रवाह के जल में प्रवाहित कर दें इस उपाय के कुछ समय बाद ही आप अपने व्यवसाय में परिवर्तन अनुभव करेंगे।
2👉 कभी-कभी अच्छी प्रकार से चलने वाला व्यवसाय अचानक ही अनजाने कारणों से घाटे में जाने लगता है। व्यक्ति दुकान के कार्य में परिश्रम भी काफी करता है इसके उपरांत भी दुकान में होने वाला घाटा उसकी समझ में नहीं आता है। यह नजर दोष के कारण से भी संभव हो सकता है। यदि आपको लगता है कि आपके व्यवसाय पर किसी व्यक्ति ने कोई नजर लगा दी है जिस कारण से आपके व्यवसाय पर अशुभ प्रभाव आ रहा है तो यह उपाय करें। किसी भी शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि से यह उपाय आरंभ करके नवमी तक करें संध्या काल में किसी भी निर्जन स्थान पर जाएं और काली मिर्च एवं काली उड़द के 11-11 दाने लेकर अपने से सात बार उसारे और मानसिक रूप से “कलीं फट” का उच्चारण करें। उसारने के बाद सारे दाने दक्षिण दिशा में फेंक दें और बिना उस दिशा में देखे वापस आ जाएं। अगले दिन फिर किसी अन्य स्थान पर जाकर यही क्रिया करें नवमी तक लगातार उपाय होने से ही आपका व्यवसाय पहले की गति से चलने लगेगा।
3👉 यह उपाय भी अत्यंत प्रभावशाली है अमावस्या के दिन आप व्यवसाय स्थल के आग्नेय कोण में एक कंडे पर अग्नि रखें और उस पर 3 लाल मिर्च रखें जब मिर्च जलने लगे तब उस कंडे को अपने व्यवसाय स्थल के चारों कोनों पर और अन्य स्थान पर ले जाएं जब यह चक्र पूर्ण कर ले तो फिर कंडे को मुख्य द्वार पर छोड़ दें। अगले दिन आप जब व्यवसाय स्थल पर आए तो सर्वप्रथम मुख्य द्वार पर गंगाजल के कुछ छींटे दें इस उपाय के बाद आपका व्यवसाय पूर्व की तरह चलने लगेगा।
4👉 यदि आप अपने व्यवसाय स्थल के मुख्य द्वार पर श्वेतार्क लगवा सके तो आपके लिए अत्यंत शुभ होगा क्योंकि जिस भी स्थान के मुख्य द्वार पर यह पौधा होता है उस स्थान पर कभी भी कोई अभिचार कर्म अथवा कोई भी तांत्रिक क्रिया कार्य नहीं करती है। हमने अपने अनुभव में देखा है कि अच्छे चलते हुए व्यवसाय को शत्रु वर्ग की ओर से अथवा प्रतिद्वंदी किसी अभिचार कर्म से हानि देने का प्रयास करते हैं। कभी-कभी उनका यह प्रयास सफल भी हो जाता है। इससे जातक का व्यवसाय प्रभावित होता है और अनेक समस्याएं आने लगती है। इनसे बचने का रास्ता यही है कि आप उपरोक्त उपाय अवश्य करें।
5👉 यदि आपके व्यवसाय स्थल पर गुरुवार के दिन कोई साधु संत आते हैं तो आप उन्हें भोजन अवश्य कराएं अथवा भोजन के नियमित धनराशि दे। कभी किसी वृद्ध का अपमान ना करें। आपने यदि व्यवसाय नया आरंभ किया है तो बुधवार को किसी ऐसे वृक्ष के निकट जाएं जिस वृक्ष पर चमगादड़ रहते हो अगले दिन एक टहनी एवं एक पत्ता ले जाने की अनुमति लेकर 3 अगरबत्ती अर्पित कर प्रणाम करके आ जाएं। अब अगले दिन जाकर पुनः प्रणाम कर तीन अगरबत्ती अर्पित कर टहनी एवं पत्ता तोड़ने की अनुमति लेकर वृक्ष की एक टहनी एवं एक ही पत्ता तोड़कर अपने साथ ले आए। उस टहनी को अपने व्यवसाय स्थल की गद्दी पर अथवा जिस स्थान पर आप बैठते हैं उसके नीचे रख दें और पत्ते को किसी ऐसे उच्च स्थान पर रखें जिससे यह अनुभव हो कि पत्ता आप के मुकुट समान है। इस उपाय से आपका व्यवसाय आशा अनुकूल गति से चलेगा इस उपाय को प्रत्येक राशि के जातक कर सकते हैं।
विशेष👉 आमतौर पर यह देखा जाता है कि कुछ व्यक्तियों में धैर्य की बहुत कमी होती है इस कारण वे जो भी कार्य करते हैं उसका फल शीघ्र प्राप्त कर लेना चाहते हैं। बहुत से ऐसे लोगों का यह व्यवहार उपाय करते समय भी देखा जा सकता है। यहां मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आपके किसी उपाय के सफल होने में देवकृपा के साथ-साथ ग्रहों की अनुकूलता तथा प्रतिकूलता भी अपना प्रभाव देती है। अधिकांश व्यक्तियों को अपने द्वारा किए जाने वाले उपायों में सफलता मिलती है यह अलग बात है कि किसी को सफलता शीघ्र मिल जाती है तो किसी को कुछ विलंब से मिलती है। इसमें ग्रहों की भूमिका के प्रभाव को स्पष्ट देखा जाता है। इसलिए उपाय करने वाले व्यक्ति के व्यवहार में संयम तथा धैर्य का होना अत्यंत आवश्यक है। इसी विषय के संदर्भ में एक बात और देखने में आती है और वह यह है कि कभी-कभी उपाय के फल प्राप्त होने में जब विलंब कुछ अधिक होने लगता है तो व्यक्ति का विश्वास और धैर्य दोनों ही डगमगाने लगता है। व्यक्ति यह सोचने लगता है कि शायद जो उपाय वह कर रहा है उसका फल प्राप्त नहीं होने वाला ऐसी स्थिति में उसमें नकारात्मक भावनाएं उत्पन्न होने लगती है। फिर उसे लगने लगता है कि शायद जो उपाय वह कर रहा है वह सफल ही नहीं होने वाला और कुछ समय बाद में उस उपाय को बीच में ही अधूरा छोड़ देता है और अन्य कोई दूसरा उपाय करने लग जाता है। ऊपर हमने बताया है कि उपाय करने के लिए धैर्य और संयम की बहुत आवश्यकता होती है इसलिए यह संभव है कि जो व्यक्ति उपाय बीच में ही छोड़ देता है फिर उसे लंबे समय तक किसी भी उपाय में फल की प्राप्ति ही ना हो क्योंकि ऐसा भी हो सकता है कि जब उसने उपाय छोड़ा वही समय उसके फल प्राप्ति का हो और फिर ऐसा समय काफी देर से आए। उपाय करने वाले को एक बात हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए कि हम एक याचक बनकर प्रभु से कुछ मांगते हैं। इसलिए ईश्वर हमें कब और कितना देता है यह उसकी इच्छा पर निर्भर है। ईश्वर की इच्छा के विरोध में किसी भी प्रकार का विरोध प्रदर्शन उचित नहीं है। इसलिए आपसे निवेदन है कि जब भी कोई उपाय करें तो हमेशा सकारात्मक सोच रखें और ईश्वर पर विश्वास रखें कि वह आपको इसका फल अवश्य देंगे। एक महत्त्वपूर्ण बात और कि उपाय करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से अपनी कुंडली का ठीक से विश्लेषण करवा लें ग्रह दशा के अनुसार उपाय किये जायें तो ज्यादा और कम समय मे लाभ मिलने की संभावना बढ़ती है।