सोनिया गांधी ने कहा कि श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं:सोनिया गांधी
श्रमिको की मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है:सोनिया गांधी
दिल्ली।कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिये भारत सरकार ने गाइड लाइन देते हुये लॉक डाउन किया है।देशभर में प्रवासी मजदूर-गरीब जगह-जगह फंस गए और घर वापसी के जतन करने लगे।अब जब केंद्र सरकार ने उन्हें भिजवाने के लिए रेलवे और बसों की व्यवस्था कर दी है तो राज्यों-श्रमिकों से किराया वसूले जाने की भी बात सामने आई है। इसे लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार 4 मई को ऐलान किया कि हर प्रदेश में कांग्रेस कमेटी गरीबों-प्रवासी मजदूरों के किराये का खर्च उठाएगी। इस संबंध में सोनिया गांधी ने कहा कि श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं।उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए।
उन्होंने आगे कहा कि न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी।पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक व कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं।
सोनिया ने आगे कहा, श्रमिक व कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं. जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से नि:शुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट व भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रुपये दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?