★ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जनजीवन सामान्य करने के लिए गाइडलाइनजारी की, उम्मीद जताई कि इससेजल्द ही सबकुछ बेहतर हो सकेगा
★ 20 से ज्यादा एक्सपर्ट्स ने अमेरिका के भविष्य पर कहा- नहीं पता यह संकट हमें कहां ले जा रहा, लेकिन इसका कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं
★ चेतावनी- वैक्सीन नहीं आया तो वायरस सालभर घूमता रहेगा, केस भी बढ़ते रहेंगे, ह्वाइट हाउस द्वारा देश को दोबारा खोलने से मौतें और बढ़ेंगी
वाशिंगटन: एजेंसी।
कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा असर अमेरिका पर पड़ा है।यहां कोरोना से 7 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। 34 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कियह स्थितिआगे और खराब हो सकती है।दरअसल, अमेरिका के बड़े शहरों से फैला यह वायरस अब छोटे इलाकों और गांवोंमें पहुंच गया है। ऐसे वक्त में राष्ट्रपति डोनाल्टट्रम्प ने देश में आम जनजीवन सामान्य करने के लिए गाइडलाइनजारी की हैं। राष्ट्रपति ने अनुमान लगाया है कि इससेजल्द ही सबकुछ सामान्यहो सकेगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि यह संकट हमें कहां ले जाएगा।’
ट्रम्प के बयान के बाद दो दर्जन से ज्यादाएक्सपर्ट्स को लगता है कि अमेरिकियों की सरलता जब एक बार फिर उत्पादन में लग जाएगी तो यह बोझ कम हो सकेगा। उन्होंने कहा किसावधानी, बड़े स्तर पर टेस्टिंग, निगरानी और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त साधन असरदार होंगे। हालांकि अभी भी अगले साल के लिए अनुमान लगाना असंभव है।
पब्लिक हेल्थ, मेडिसिन, एपिडेमियोलॉजी और हिस्ट्री के एक्स्पर्ट्स ने इंटरव्यू में भविष्य की बात की है। वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल स्कूल में प्रिवेंटिव मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर विलियम शैफनर के मुताबिक मुझे आशा है कि यह वायरस गर्मियों में कुछ कम हो जाएगा और वैक्सीन एक फौज की तरह आएगी। लेकिन मैं अपने इस आशावादी व्यव्हार को रोकने की कोशिश कर रहा हूं। हालांकि कई एक्स्पर्ट्स यह कह चुके हैं किजैसे ही यह संकट खत्म होगा, आर्थिक व्यवस्था फिर से ठीक हो जाएगी। लेकिन तब तक इस दर्द से बचने का कोई उपाय नहीं है। यह वायरस कब खत्म होगा यह मेडिकल के साथ-साथ हमारे व्यवहार पर भी निर्भर करता है। अगर हम खुद को और करीबियों को बचा पाए तो हम ज्यादा लोग जिंदा बचेंगे। लेकिन अगर हमने इस वायरस को हल्के में लिया तो यह हमें खोज लेगा।’
आंकड़ों से ज्यादा मौतें हो रही हैं-
कोरोनावायरस को अमेरिका में सबसे ज्यादा मौतों का जिम्मेदार माना जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक 7 अप्रैल के बाद हर दिन 1800 अमेरिकियों की मौत हो रही है। हालांकि सरकारी आंकड़े अभी भी साफ नहीं हैं। जबकि अमेरिका में दिल की बीमिरियों से एक दिन में 1774 और कैंसर से 1641 मौत होती हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवेलुएशन के मॉडल के अनुमान के मुताबिक, गर्मियों के मध्य तक एक लाख से 2 लाख 40 हजार मौतें होनी थीं। लेकिन अब यह आंकड़ा 60 हजार है। अब तक की सफलता का कारण शटडाउन है। लेकिन इसे हमेशा के लिए भी जारी नहीं रख सकते।
इंस्टीट्यूट का आकलन चार अगस्त तक के लिए है। उसके मॉडल के मुताबिकबिना वैक्सीन के इस महामारी कंट्रोल करना मुश्किल है। यदि वैक्सीन नहीं आई तो वायरस सालभर घूमता रहेगा और मौतों काआंकड़ा बढ़ता ही जाएगा।व्हाइट हाउस के देश को दोबारा खोलने के प्लान से मौत का आंकड़ा फिर बढ़ेगा। फिर चाहे कितनी ही एहतियात से इसे लागू किया जाए।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के एक मॉडल के मुताबिक, अमेरिका में सितंबर तक 22 लाख के करीब मौतें हो सकती हैं। तुलना की जाए तो दूसरे विश्व युद्ध में 4 लाख 20 हजार अमेरिकी मारे गए थे।
चीन में अब तक संक्रमण के 83 हजार मामले सामने आए, जहां 4632 लोगों की मौत हो गई। ट्रम्प सरकार ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाए थे, लेकिन खुद ने भी सही आंकड़े तैयार नहीं किए थे। मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण हल्के मामलों की जांच ही नहीं की गई। अगर आपको संक्रमितों को बारे में जानकारी नहीं है, तो आप यह नहीं जान सकते कि वायरस कितना खतरनाक है।
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